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Debris Scam: दिल्ली में यमुना रिवर फ्लड प्लेन एरिया से मलबा उठाने के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है। दिल्ली विकास प्राधिकरण की तरफ से हजारों मीट्रिक टन मलबा उठाने के लिए ठेकेदार कंपनियों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया लेकिन उन्होंने मलबा नहीं उठाया। एक आरटीआई के जरिए इस मामले का खुलासा हुआ है। इसके बाद सीबीआई ने इस मामले की छानबीन शुरू कर दी है। साथ ही डीडीए के संबंधित विभागों पर छापा मारा गया है। 

पांच कंपनियों को दिया गया था ठेका

जानकारी के अनुसार, डीडीए ने अप्रैल 2023 में वजीराबाद बैराज से लेकर एनएच-9 तक यमुना रिवर फ्लड प्लेन एरिया से कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन वेस्ट हटाने के लिए टेंडर जारी किया था। इस कचरे को MCD के प्लांट तक पहुंचाया जाना था, जहां इसे टाइल्स या अन्य सामग्री बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता। इस काम के लिए पांच कंपनियों को ठेका दिया गया। इन कंपनियों ने कहा कि अप्रैल 2024 तक इस मलबे को हटा दिया जाएगा। इसके आधार पर डीडीए ने इन्हें लगभग 2 करोड़ रुपए का भुगतान किया। 

आरटीआई कार्यकर्ता ने मांगी जानकारी

इस मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता ने डीडीए से जानकारी मांगी कि यमुना से मलबा हटाया गया या नहीं? इस पर MCD की तरफ से चौंकाने वाला खुलासा किया गया। MCD की तरफ से जानकारी दी गई कि 26,000 मीट्रिक टन मलबे में से केवल 609 मीट्रिक टन ही एमसीडी प्लांट तक पहुंचा। इसके बाद अनिल वोहरा ने पूरे दस्तावेज और सबूतों के साथ सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद सीबीआई ने शकरपुर स्थित डीडीए के उद्यान विभाग के डिवीजन 10 पर छापा मारा। छापे में वहां से कई अहम दस्तावेज बरामद किए। 

केवल कागजों पर ही हुआ काम

सीबीआई जांच में पता चला कि मलबा हटाने का टेंडर लेने वाले लोगों ने केवल कागजों पर ही मलबा हटाने का दावा किया है। वहीं इन्होंने पैसा पूरा वसूल किया। MCD द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पांच कंपनियों में से केवल एक कंपनी ने ही 609 मीट्रिक टन मलबा एमसीडी प्लांट तक पहुंचाया। बाकी कंपनियों ने ना ही मलबा हटाया और न ही एमसीडी को पैसे वापस दिए। बता दें कि सीबीआई इस पूरे मामले की जांच कर रही है। इस मामले में जल्द ही डीडीए के अधिकारियों और ठेकेदारों से पूछताछ करेगी।

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