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दिल्ली हाईकोर्ट ने एक 60 साल बुजुर्ग दंपत्ति को बड़ी राहत दी है। कोर्ट से उन्हें उनके मृत बेटे के स्पर्म को एक्सेस करने की परमिशन मिल गई है। अब वे इस स्पर्म की मदद से सरोगेसी से बच्चा पैदा करा सकेंगे और अपनी विरासत को आगे बढ़ा सकेंगे।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बुजुर्ग दंपत्ति के हक में एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उन्हें परमिशन दे दी है कि वो अपने मृत बेटे के स्पर्म को एक्सेस कर सकते हैं और उसका इस्तेमाल प्रजनन के लिए कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और बुजुर्ग दंपति ने क्यों हाईकोर्ट से ये गुहार लगाई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में पिछले हफ्ते यह फैसला सुनाया है। दंपत्ति के बेटे की कैंसर की वजह से 2020 में मौत हो गई थी। लेकिन, उसके स्पर्म को इलाज के दौरान स्टोर करके रखा लिया गया था। अस्पताल प्रबंधन की ओर से बुजुर्ग दंपत्ति को अपने बेटे के स्पर्म को एक्सेस करने की परमिशन नहीं मिल रही थी। अस्पताल का कहना था कि उनके बेटे का कोई पार्टनर नहीं है। इसलिए, वह उसका स्पर्म उसके माता-पिता को नहीं दे सकते हैं। जब अस्पताल प्रबंधन नहीं माना तो बुजुर्ग दंपति कोर्ट पहुंच गया।

दरअसल, कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी होती है और उसके रेडिएशन के चलते स्पर्म की क्वालिटी भी गिर जाती है। ऐसे में मरीजों के स्पर्म को प्रिजर्व करके रखा जाता है। लेकिन, अस्पताल ने दंपति को स्पर्म देने से मना कर दिया। कोर्ट में बुजुर्ग दंपत्ति ने तर्क दिया कि वह अपने बेटे की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए और पोते-पोतियों की परवरिश करने की इच्छा के लिए स्पर्म का एक्सेस चाहते हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वे अपनी बेटियों के साथ फ्रोजन सीमेन सैंपल का उपयोग करेंगे और सरोगेसी से जो बच्चा पैदा होगा। उसकी पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुजुर्ग दंपत्ति की याचिका पर जताई सहमति

दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दंपत्ति की याचिका पर सहमति जताई क्योंकि जिस वक्त उनके बेटे की मौत हुई थी। उस समय देश में इसको लेकर कोई कानून ही नहीं बना था। इसका मतलब ये है कि पत्नी या लाइफ पार्टनर के अलावा भी कोई सदस्य मृतक के स्पर्म का एक्सेस ले सकता था। कोर्ट ने ये भी स्वीकार किया कि स्पर्म को एक प्रॉपर्टी माना जा सकता है। यह व्यक्ति की जैविक सामग्री का हिस्सा है।

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