Delhi High Court on Yamuna River: दिल्ली में यमुना में लगातार जहर घुल रहा है। ऐसे में कई बार सवाल उठता है कि आखिर दिल्ली की यमुना इतनी जहरीली कैसे हो गई? इसका जवाब सामने आते ही दिल्ली हाईकोर्ट भी हैरान रह गया। दरअसल यमुना इतनी जहरीली कैसे होती जा रही हैं, इसको लेकर जांच के आदेश दिए गए थे, इसकी रिपोर्ट आने के बाद खुलासा हुआ कि दिल्ली के 16 इंडस्ट्रियल इलाकों में ट्रीटमेंट यूनिट तक नहीं हैं। हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कड़ी नाराजगी जताई और इसे 'गंभीर और निराशाजनक' स्थिति बताया। 

'यमुना की हालत चिंताजनक'

दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की बेंच ने इस बारे में कहा कि वेस्ट मटैरियल बिना किसी ट्रीटमेंट के यमुना नदी में बह रहे हैं। ये दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। ऐसे में तुरंत दिल्ली के सभी 33 इंडस्ट्रियल इलाकों में CITP (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) लगाने की जरूरत है। दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया कि 16 इंडस्ट्रियल इलाको में CITP नहीं है, जो बेहद चौंकाने वाली बात है। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल किया कि यमुना नदी को लेकर क्या समाधान निकाला जाए, जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके कि यमुना में बहने वाला सारा पानी पूरी तरह से ट्रीट हो जाए और नदी में प्रदूषण न हो। 

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सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की कंडीशन पर भी हुई चर्चा

वहीं दिल्ली में जल भराव से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से घरेलू और रिहायशी इलाकों में 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कंडीशन पर भी चर्चा की गई। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि 11 प्लांट में फ्लो मीटर लगाने में देरी की गई, जो असंतोषजनक है। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला

दिल्ली हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सभी इंडस्ट्रियल इलाकों में CITP लगाने का महत्वपूर्ण आदेश है। हाईकोर्ट ने कहा कि CITP के कामकाज पर DSIIDC (दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम) द्वारा दाखिल हलफनामे के बाद की गई जांच से बेहद निराशाजनक स्थिति सामने आई है। कोर्ट ने DSIIDC के नियंत्रण में आने वाले नरेला और बवाना में CITP प्लांट को लेकर कहा कि निगम की तरफ से अपशिष्टों की निगरानी, उनका परीक्षण और प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। 

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