Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संगठन के चुनावों में कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) की डूसू चुनाव में शानदार जीत प्रदेश कांग्रेस के लिए संजीवनी की तरह कार्य करेगी। सात सालों के लंबे इंतजार के बाद एनएसयूआई के उम्मीदवार रौनक खत्री डुसू के अध्यक्ष पद पर कब्जा करने में कामयाब हुए है। वहीं लोकेश चौधरी ने सह सचिव पद पर जीत दर्ज की। वर्ष  2013 में दिल्ली की सत्ता से विदा होने के बाद से हार का हर रिकॉर्ड कांग्रेस अपने नाम लिख चुकी है। जिसमें तीन विधानसभा चुनाव, दो लोकसभा चुनाव में शून्य। जबकि दिल्ली नगर निगम में महज सात पार्षदों के साथ मौजूद कांग्रेस के लिए एनएसयूआई की जीत नया जोश भरने का कार्य करेगी।

किसी संजीवनी की तरह यह जीत

पार्टी भी इस जीत को भुनाने के लिए शायद ही कोई कोर कसर छोड़े। ऐसे में छात्र संगठन चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीत कई मायनों में महत्वपूर्ण कही जा सकती है। इस जीत के बाद कहा जा सकता है कि विषम परिस्थितियों में प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने वाले देवेंद्र यादव अपनी पहली परीक्षा में पास हो गए लगते है। क्योंकि यादव के नेतृत्व में डूसू चुनाव उनकी पहली परीक्षा बताई जा रही थी, जिसमें उन्हें बेहतरीन कामयाबी मिली है। जहां एक तरफ एनएसयूआई की अध्यक्ष व सहसचिव पद पर जीत से कांग्रेस को संजीवनी मिलती प्रतीत हो रही है। वहीं दूसरी तरफ यह जीत आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की मुसीबत बढ़ाने वाली कही जा रही है।

केजरीवाल की बढ़ेगी मुश्किलें

पहले ही भ्रष्टाचार के आरोप में जेल से जमानत पर बाहर आए केजरीवाल को कई झटके लग चुके हैं। ऐसे में एनएसयूआई द्वारा छात्र संगठन के चुनावों में सबसे महत्वपूर्ण पद पर सात साल बाद वापसी ने युवाओं का रुझान बता दिया है। जाहिर है ऐसे में विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ी दिल्ली के युवाओं का रुझान अगर कांग्रेस पार्टी की तरह बढ़ता रहा तो मतदान में आम आदमी पार्टी के लिए खतरा साबित हो सकता है। क्योंकि आप पार्टी व केजरीवाल के समर्थकों में युवाओं की संख्या अच्छी खासी है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि अगर कांग्रेस पार्टी की तरफ युवाओं का झुकाव हुआ तो चुनावों में इसका सीधा नुकसान आप पार्टी को उठाना पड़ सकता है।

चुनावी शतरंज में कांग्रेस को होगा फायदा

चुनावी शतरंज के इस खेल में अगर युवाओं ने केजरीवाल का साथ छोड़ा तो इसका फायदा कांग्रेस को होगा। मान लें कि कांग्रेस सत्ता में न आ पाए लेकिन आप के वोट कटने का सबसे बड़ा फायदा भाजपा को मिलने के आसार बढ़ जाएगें। शह और मात के इस खेल में छात्र संगठन के चुनावों ने केजरीवाल के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। आगामी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले भाजपा के छात्र संगठन को डूसू चुनाव में मिली यह करारी हार कई संदेश दे रही है। 

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