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Famous Mosque of Delhi: दिल्ली में आपको मंदिर से लेकर मस्जिद और चर्च तक सभी चीजें देखने को मिलेंगी। यहां केवल जामा मस्जिद ही नहीं है, बल्कि कई अन्य मस्जिदें भी हैं और सभी का अपना एक अलग इतिहास है।

Famous Mosque of Delhi: राष्ट्र की राजधानी दिल्ली जिसे भारत का दिल भी कहा जाता है। यह आपने आप में नायाब और विविधताओं वाला शहर है। यहां पर आपको एक तरफ मुगल काल की कला देखने को मिलेगी तो दूसरी तरफ 21वीं सदी का भारत। यहां आपको मंदिर से लेकर मस्जिद और चर्च तक सभी चीजें देखने को मिलेंगी। लेकिन जब बात मस्जिद की आती है तो अधिकतर लोग केवल जामा मस्जिद के बारे में ही जानते हैं। आपको बता दें कि दिल्ली में केवल जामा मस्जिद ही नहीं है। बल्कि कई अन्य मस्जिदें भी हैं और सभी का अपना एक अलग इतिहास है। आज हम आपको इस आर्टिकल में ऐसे ही कुछ फेमस मस्जिदों के बारे में बताएंगे।

कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद

Famous Mosque of Delhi
कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद

यह मस्जिद कुतुब मीनार परिसर, महरौली में स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण गुलाम वंश के संस्थापक कुतुब-उद-दीन ऐबक ने शुरु करवाया था। यह मस्जिद हिंदू और इस्लामिक कला का बेहद ही शानदार प्रदर्शन करता है। जब आप इस मस्जिद की छत और खंभे देखेंगे तो आपको भारतीय मंदिरों की शैली की झलक इसमें दिखाई देगी। वहीं, इस मस्जिद के बुर्ज इस्लामिक शैली के तर्ज पर डिजाइन किए गए हैं। यहां पर आप  सुबह 7 बजे से लेकर 5 बजे के बीच कभी भी जा सकते हैं।

जमाली कमाली मस्जिद

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जमाली कमाली मस्जिद

यह मस्जिद महरौली के आर्कियोलॉजिकल विलेज कॉम्प्लेक्स में स्थित है। इस मस्जिद दो व्यक्तियों जमाली और कमाली के नाम पर रखा गया था। इस मस्जिद का निर्माण साल 1529 में हुमायूं द्वारा करवाया गया था। जमाली उस दौर के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे। जमाली का असली नाम शेख हामिद बिन फजलुल्लाह था। हालांकि, कमाली के बारे में किसी को अधिक जानकारी नहीं है। आप यहां अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर जाएं।

मोठ की मस्जिद

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मोठ की मस्जिद

मोठ की मस्जिद दिल्ली में सबसे फेमस मस्जिदों में से एक है। यह साउथ एक्स पार्ट-2 , साउथ दिल्ली में स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण लोदी शासन काल के दौरान वजीर मिया भोइया ने करवाया था। कहा जाता है कि यह मस्जिद 500 साल पुरानी है। लेकिन इस मस्जिद के बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है। एक बार सिकंदर लोदी ने इस क्षेत्र में बने एक मस्जिद का दौरा किया था।जब लोदी ने मस्जिद पर दुआ के लिए जमीन पर अपने घुटने टेके तो उनके घुटने पर एक मोठ चिपक गया था।

यह सब लोदी के वजीर ने देखा था। ऐसे में उन्होंने इस क्षेत्र में मोठ की दाल उगाने का सोचा। उन्होंने दाल उगाई और जब फसल अच्छे से उग गई, तब वजीर ने सारी दाल बेच दी और खूब पैसा कमाया। माना जाता है कि उसी दाल के पैसों से वजीर ने यह मस्जिद बनाई। जिसका नाम मोठ मस्जिद रखा गया।

फतेहपुरी मस्जिद

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फतेहपुरी मस्जिद

फतेहपुरी मस्जिद एशिया के सबसे बड़ी मसालों की मार्केट के पास यानी पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित है। इस  मस्जिद का निर्माण साल 1650 में शाहजहां की बेगम फतेहपुरी ने करवाया था। लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद देखने में काफी खूबसूरत लगती है। इस मस्जिद में एक हॉल भी है, जिसमें 7-आर्चड् ओपनिंग है। 1857 के युद्ध के दौरान यहां पर भारतीय सैनिकों को तैनात किया गया था। कहा जाता है कि इस युद्ध के बाद अंग्रेजों ने इसे व्यापारी राय लाला चुन्नीलाल को 19000 रुपये में बेच दिया था।

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राय लाला चुन्नीलाल ने 1877 तक इस मस्जिद की देखभाल की। इसके बाद भारत सरकार ने इस मस्जिद को अपने कब्जे में ले लिया। ईद-उल-फितर के दिन इस मस्जिद को शानदार तरीके से सजाया जाता है। इस दिन यहां लोगों की काफी भीड़ देखने को मिलती है।

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