Feroz Shah Kotla Fort: दिल्ली में स्थित फिरोजशाह कोटला किला जो 14वीं सदी में बनाया गया था। माना जाता है कि यहां पर जिन्न रहते हैं। गुरुवार के दिन यहां काफी संख्या में लोग यहां आकर अपनी अर्जी लगाते हैं। उनको यकीन है कि उनकी अर्जी में लिखी तकलीफों को जिन्न दूर कर देंगे।  

इतिहास के अनुसार, फिरोज शाह कोटला किले को 14वीं सदी में सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने बनवाया था और आज यह एक क्रिकेट स्टेडियम और दिल्ली के रिंग रोड के बीच स्थित है। इस किले में जिन्नों को पत्र लिखने का रिवाज 1970 के दशक के अंत में शुरू हुआ, जब लड्डू शाह नामक फकीर आया और खंडहरों में रहने लगा। वह अपने अनुयायियों को बताने लगा कि जिन्नातों के रूप में कुछ ताकतें हैं, जो मुरादों को पूरा कर देते हैं। इसके बाद जो लोग ऐसी बातों पर विश्वास करते थे, वे दुआएं लेने और अपनी समस्याओं के समाधान ढूंढने के लिए यहां आने लगे।

जिन्नात करते हैं मन्नत पूरी

यहां पर लोग अत्यंत गुप्त बातों को भी लिखकर बताते हैं, यहां मोमबत्तियां, चादरें, चावल और अन्य वस्तुएं यहां पर रखते हैं। यही नहीं, लोग अपनी सबसे गुप्त बातों को भी अर्जी यानी पत्र लिखकर या बोलकर यहां पर जिन्न के होने पर यकीन करते हुए और उसको सामने मानते हुए जाहिर करते हैं। लोग यह भी मानते हैं कि खंभे को छूने से इनकी मुरादें पूरी होती हैं। कहा जाता है कि इस किले के जिन्नादों के मुखिया, लाट वाले बाबा, जामा मस्जिद के निकट स्थित अशोक के बलुआ पत्थर वाले खंभे (मीनार-ए-जरीन) में रहते हैं। उनके लिखे गए पत्र खंभे की सुरक्षा के लिए बनाए गए जंगल पर बांध दिए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि खंभे को छूने से मुरादें पूरी हो जाती हैं।

फिरोजशाह कोटला किला

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रात में होती है अर्जियों पर चर्चा

यह भी माना जाता है कि किले के अंदर एक जिन्न मंत्रालय है। यह मंत्रालय आजकल की नौकरशाही की तरह ही काम करते हैं, जिसमें विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिए अलग-अलग विभाग होते हैं। अपनी परेशानियां लिख कर अपनी अर्जी एक पत्र के रूप में पेश करते हैं। इस किले के प्रत्येक आले में कई सारी फोटो कापियां दिखाई देते हैं। कहा जाता है कि इसके बाद लोगों को 7 जुमे रातों तक इस किले में आना पड़ता है। साथ ही जिन्नात बीच रात में अर्जियों पर चर्चा करने के लिए दरबार लगाते हैं और तब अल्लाह उन आर्जियों को पूरा कर देते हैं, जो वाकई सच्ची होती है।

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