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दिल्ली में कर योग्य आवासीय संपत्तियों की जियोटैग करने की प्रक्रिया धीमी चल रही है। यह तीसरा मौका है, जब जियो टैगिंग की अंतिम समय सीमा बढ़ा दी गई है। एमसीडी ने इस प्रक्रिया में होने वाली देरी की वजह भी बताई है।

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने तीसरी बार संपत्तियों की जियो टैगिंग की समय सीमा बढ़ा दी गई है। एक अधिकारी ने बताया कि अब 30 जून तक जियोटैक करा सकते हैं। पहले यह समय सीमा 31 मार्च थी, लेकिन दिल्ली में लक्षित 15 लाख घरों में से महज साढ़े तीन लाख घरों को ही जियो-टैग किया जा सका है। एमसीडी अधिकारी की मानें तो वेबसाइट पोर्टल पर तकनीकी खामी के चलते निर्धारित लक्ष्य को पिछली समय सीमा में पूरा नहीं किया जा सका है। हालांकि दावा है कि अब 30 जून तक इस लक्ष्य को शत-प्रतिशत हासिल कर लिया जाएगा।

कब-कब बढ़ाई गई थी समय सीमा

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एमसीडी ने जियो-टैगिंग की समय सीमा 31 जनवरी तय की थी। दावा था कि इस समय तक दिल्ली के सभी लक्षित 15 लाख कर योग्य घरों को जियोटैग कर लिया जाएगा। इसके बाद 31 जनवरी तक यह लक्ष्य हासिल नहीं हो सका, लिहाजा इस समय सीमा को बढ़ाकर 29 फरवरी कर दी गई थी। 29 फरवरी तक केवल ढाई लाख कर योग्य घरों की जियोटैग हो सका। ऐसे में दूसरी समय सीमा 31 मार्च तय कर दी गई। अधिकारियों की मानें तो 31 मार्च तक 3.5 लाख कर योग्य घरों की ही जियोटैग हो सकी है। ऐसे में इस समय अवधि को 30 जून किया जा रहा है।

क्या है जियोटैग प्रक्रिया

संपत्तियों की जियो-टैगिंग में भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) का उपयोग होता है। इसमें संपत्ति डिजिटली मैप पर प्रदर्शित होती है। यह संपत्ति के लिए एक अद्वितीय अक्षांश-देशांतर निर्दिष्ट करने की प्रक्रिया है। इससे संपत्तियों के स्थान एक अद्वितीय अक्षांश-देशांतर स्थिति के विरुद्ध पहचाना जा सके। एमसीडी ने सभी संपत्ति मालिकों से आग्रह किया है कि अगर आपकी संपत्ति कर पोर्टल पर पंजीकृत नहीं है तो तुरंत पंजीकृत कराएं। साथ ही, यूपीआईसी जनरेट करके अपनी संपत्ति को जियो टैग कराएं।  एमसीडी अधिकारियों का कहना है कि जियो टैग से कई फायदे होंगे। एक तरफ जहां संपत्तियों का सटीक मानचित्र उपलब्ध होगा, वहीं शहरी नियोजन और नागरिक सुविधाओं को विस्तार करने के साथ अन्य सुविधाओं में फायदा होगा।

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