Arvind Kejriwal vs Rahul Gandhi: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान खत्म हो चुका है। वहीं अब लोगों को 8 फरवरी का इंतजार है, जब मतगणना के बाद रिजल्ट की घोषणा की जाएगी। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा, आप और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला लेकिन मतदान के समय भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। हालांकि अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर गठबंधन में एक साथ चुनाव लड़ते, तो चुनाव के नतीजे कुछ और ही होते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनाव में एक दूसरे के आमने सामने रही। अगर दिल्ली के एग्जिट पोल ठीक साबित होते हैं, तो राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल को नए सिरे से रणनीति बनानी होगी। जानिये इस चुनावों के बाद आप और कांग्रेस को किस दिशा में ठोस काम करना जरूरी है।
दिल्ली एग्जिट पोल ने कांग्रेस और आप को डुबोया
आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल का कहना है कि अरविंद केजरीवाल को हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने की आशंका थी। फिर भी सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे। एक पॉडकास्ट में स्वाति मालीवाल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल का व्यवहार तानाशाही है। इसके चलते कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन नहीं हुआ। राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि राहुल गांधी ने शुरू में दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस तरह से आप के साथ गठबंधन की इच्छा जताई थी, उस पर केजरीवाल ने आक्रामक रूख अपनाए रखा। यहां तक कि कांग्रेस की उम्मीदवारों की सूची जारी होने से पहले ही अपनी सूची जारी कर दी। इसके चलते कांग्रेस को भी सभी 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारने पड़े। जानकारों का कहना है कि अगर कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन होता, तो बीजेपी का सत्ता में आना लगभग नामुमकिन था।
राहुल गांधी ने गिनाईं केजरीवाल की कमियां
दिल्ली चुनाव में प्रचार करते समय राहुल गांधी ने दिल्ली सरकार की काफी कमियां गिनाईं और आम आदमी पार्टी पर काफी हमलावर भी रहे। वहीं अरविंद केजरीवाल भी कांग्रेस पर कई बार हमलावर रहे। राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव में आप के खिलाफ जो बातें, कहीं उसका असर भी पड़ा। लोगों से बातचीत के पता चला कि 'काफी लोगों ने राहुल गांधी के बयानों से प्रभावित होकर भाजपा को वोट दिया।'
उन्होंने कहा कि वे आम आदमी पार्टी को इस बार वोट नहीं देना चाहते थे क्योंकि दिल्ली में उन्होंने पानी की समस्या को 11 सालों में भी खत्म नहीं कर पाया। वहीं गंदगी भी अपार है। लोगों ने कहा कि वे कांग्रेस को वोट देकर वोट खराब नहीं करना चाहते थे क्योंकि दिल्ली में कांग्रेस की सरकार नहीं बनेगी। इसी कारण वो भाजपा को वोट देकर आए हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में क्यों नहीं हुआ आप और कांग्रेस का गठबंधन
कांग्रेस नेता अजय माकन के मुताबिक, हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी से सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा हो रही थी। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को चार सीटें ऑफर की थीं और कहा था कि हम स्थानीय नेताओं से बात करके सूचित करेंगे। इसी बीच अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आए और उन्होंने ऐलान कर दिया कि वे हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए सभी 90 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे। इस तरह उन्होंने खुद ही गठबंधन तोड़ दिया।
इसके बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय ने दिल्ली की सभी 70 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए कहा था। इसे बाद हमने सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया। राहुल गांधी ने गठबंधन नहीं तोड़ा, गठबंधन टूटने की वजह सीएजी रिपोर्ट और आम आदमी पार्टी के नेताओं का अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा थी।
पहली रैली में राहुल गांधी ने नहीं किया पर्सनल अटैक
बता दें कि दिल्ली चुनाव के लिए राहुल गांधी की पहली रैली सीलमपुर में थी। इस दौरान राहुल ने केवल दिल्ली के विकास और काम को लेकर केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा था। हालांकि अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी के खिलाफ एक्स पर पोस्ट शेयर करके लिखा कि राहुल गांधी पार्टी बचाने निकले हैं और हम देश बचाने निकले हैं। इसके बाद दोनों पार्टियों में दो तरफा आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया।
हालांकि राहुल गांधी के बयानों से भाजपा को फायदा हुआ क्योंकि स्वाति मालीवाल के बाद राहुल गांधी भी दिल्ली सरकार के काम को लेकर सवाल उठाने लगे थे। ऐसे में लोगों ने दिल्ली सरकार की नाकामी और कांग्रेस में जनता के बीच पहुंच की कमी को लेकर बहुत से लोगों ने भाजपा को वोट दिया। वहीं एग्जिट पोल्स के अनुसार दिल्ली में भाजपा और आम आदमी पार्टी में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
दिल्ली चुनाव हारे तो राहुल और केजरीवाल को करने होंगे ये काम
कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव को लेकर दलित मुस्लिम फॉर्मूला अपनाया था। ऐसी 10 सीटें हैं, जिस पर दलितों और अल्पसंख्यकों का दबदबा है। लेकिन, मुस्तफाबाद और सीलमपुर जैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर भी कांग्रेस पर भरोसा करने की बजाए एआईएमआईएम पर भरोसा दिखाया है। इसके अलावा, केजरीवाल की दिल्ली दंगों को लेकर खामोशी के चलते मुस्लिम वोटर भी आप से खासे नाराज हैं। ऐसे में दोनों दलों को मुस्लिम वोटर्स का भरोसा जीतने के लिए जमीन पर उतरकर सार्थक कदम उठाने होंगे। वहीं, पीएम मोदी सबका साथ सबका विकास नारा देकर हर समुदाय के लिए कार्य कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस और आप, इन वोटर्स को किस तरह से जोड़ेंगे, यह तो आने वाले समय में पता चल पाएगा।
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