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Acharya Vidyasagar Ji Maharaj: युगदृष्टा ब्रह्मांड के देवता संत शिरोमणि आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी महामुनिराज शनिवार यानी 17 फरवरी 2024 के तदानुसार माघ शुक्ल अष्टमी पर्वराज के अंतर्गत उत्तम सत्य धर्म के दिन रात्रि 2:35 बजे ब्रह्म में लीन हो गए। 

Acharya Vidyasagar Ji Maharaj: युगदृष्टा ब्रह्मांड के देवता संत शिरोमणि आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी महामुनिराज दिनांक शनिवार यानी 17 फरवरी तदानुसार माघ शुक्ल अष्टमी पर्वराज के अंतर्गत उत्तम सत्य धर्म के दिन रात्रि 2:35 बजे ब्रह्म में लीन हो गए। हम सब के प्राण दाता राष्ट्रहित चिंतक परम पूज्य गुरुदेव ने विधिवत संलेखना बुद्धि पूर्वक धारण कर ली थी। पूर्व जागृत अवस्था में उन्होने आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन के उपवास ग्रहण करते हुए आहार और संघ का प्रत्याख्यान कर दिया था। प्रत्याख्यान व प्रायश्चित देना बंद कर दिया था। गुरुवर श्री जी का डोला श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरि तीर्थ क्षेत्र में 18 फरवरी यानी रविवार दोपहर 1 बजे से निकाला जाएगा और चंद्रगिरि तीर्थ क्षेत्र पर ही पंच तत्व में विलीन किया जाएगा।  

कर्नाटक के बेलगाम में हुआ था जन्म

संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगाम जिले में हुआ। उनका बचपन का नाम विद्याधर था। इसके बाद उन्होंने दीक्षा राजस्थान में ली। आचार्य विद्यासागर जी संस्कृत और प्राकृत के विद्वान रहे। इसके अलावा हिंदी और कन्नड़ सहित कई भाषाओं पर मजबूत पकड़ रही। उन्होंने प्राकृत, संस्कृत, हिंदी आदि भाषाओं में लिखा। उनके ऊपर जीवनी भी लिखी गई, जिसे उनके ही शिष्य मुनि क्षेमसागर ने लिखा। जीवनी का अंग्रेजी में अनुवाद इन द क्वेस्ट ऑफ सेल्फ के रूप में किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रहा जुड़ाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जुड़ाव भी आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी से रहा। भोपाल की यात्रा के दौरान 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे मुलाकात की। इसके अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विशेष निमंत्रण पर 28 जुलाई 2016 को मध्यप्रदेश विधानसभा में अपना प्रवचन दिया। इसके अलावा तत्कालीन केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने दीक्षा के 50 साल पूरे होने 50 संयम महोत्सव में आचार्य जी के दर्शन किए। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 2018 में गुरु पूर्णिमा समारोह में छतरपुर में आचार्य विद्यासागर जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके अलावा तत्कालीन अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर, आचार्य विद्यासागर जी से भेंट के बाद शाकाहारी बने गए।

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