Sandeep Dikshit on BJP victory: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शानदार जीत दर्ज करते हुए बहुमत हासिल कर लिया है। वहीं, पिछले दो चुनावों में सत्ता पर काबिज रही आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस इस बार भी एक भी सीट नहीं जीत पाई, जिससे उसके प्रदर्शन पर सवाल उठ रहे हैं।
'गठबंधन से भी नहीं बदलता नतीजा'- संदीप दीक्षित
दिल्ली चुनाव परिणामों के बाद चर्चा थी कि अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन किया होता तो क्या चुनावी नतीजे बदल सकते थे। लेकिन कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने इस संभावना को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने किसी को नहीं हराया, बल्कि अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला किया। अगर AAP और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ते, तब भी नतीजे और भी बुरे होते। दिल्ली की जनता ने पूरी तरह से केजरीवाल को हटाने का मन बना लिया था। यहां तक कि अगर 10 और पार्टियां भी उनसे गठबंधन कर लेतीं, तो भी वह हार जाते।
नई दिल्ली सीट से हारे अरविंद केजरीवाल
दिल्ली की नई दिल्ली विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को करारी हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने उन्हें 4,089 वोटों के अंतर से हराया। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, प्रवेश वर्मा को 30,088 वोट, जबकि केजरीवाल को 25,999 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित को 4,568 वोट प्राप्त हुए, जो हार-जीत के अंतर के करीब है। यह नतीजे दर्शाते हैं कि कांग्रेस को मिले वोटों ने चुनावी समीकरणों को प्रभावित किया और मुकाबला और भी दिलचस्प बना दिया।
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कांग्रेस के वोटों ने बदला हार-जीत का खेल
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 14 सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस को मिले वोटों ने आम आदमी पार्टी की हार-जीत का पूरा गणित बदल दिया। इन सीटों पर आप के हार का अंतर कांग्रेस को मिले वोटों से कम था। अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन किया होता, तो संभावित रूप से दोनों दलों की सीटों की संख्या 37 तक हो सकती थी, जो बहुमत से एक सीट अधिक होती। हालांकि, गठबंधन होने से स्थानीय मुद्दे बदल सकते थे और इसका असर नतीजों पर भी पड़ सकता था।
दिल्ली में राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से साफ हो गया कि जनता ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ एकजुट होकर वोट किया। बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद अब दिल्ली की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अरविंद केजरीवाल की हार ने न सिर्फ AAP के भविष्य पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी साफ कर दिया कि जनता ने इस बार बदलाव के लिए मतदान किया है।