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दिल्ली में मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों और पार्टी नेतृत्व के बीच लगातार बैठकों का दौर जारी है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि दिल्ली की कमान किसके हाथों में जाएगी। सोशल मीडिया और राजनीतिक विश्लेषणों में प्रवेश वर्मा का नाम प्रमुखता से उभर रहा है।

Parvesh Verma Delhi CM Candidate: दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की 27 साल ऐतिहासिक जीत के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है कि दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन होगा? पार्टी के भीतर इसको लेकर गहन मंथन जारी है, लेकिन सोशल मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में प्रवेश वर्मा सबसे प्रबल दावेदार के रूप में उभर रहे हैं।  

प्रवेश वर्मा का नाम सबसे आगे क्यों?

दिल्ली चुनावों में प्रवेश वर्मा भले ही मुख्यमंत्री पद का घोषित चेहरा न रहे हों, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान ही यह साफ हो गया था कि वह आम आदमी पार्टी (AAP) के अरविंद केजरीवाल को सीधी चुनौती देने वाले नेता हैं। दिल्ली में भाजपा की जीत के बाद भी पार्टी नेतृत्व ने अभी तक मुख्यमंत्री पद के नाम की घोषणा नहीं की है, जिससे अटकलों का बाजार गर्म है। रामलीला मैदान में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं, 30,000 मेहमानों को आमंत्रण भेजा जा चुका है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि दूल्हा कौन है? 

अगर प्रवेश वर्मा नहीं, तो कौन?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर दिल्ली में प्रवेश वर्मा मुख्यमंत्री नहीं बनते तो बीजेपी किसी सरप्राइज चेहरे को ला सकती है। भाजपा ने हाल ही में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ऐसे ही नामों को आगे बढ़ाकर सबको चौंका दिया था। महाराष्ट्र में भी देवेंद्र फडणवीस के बजाय एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने बड़ा राजनीतिक दांव खेला था। तो क्या दिल्ली में भी कोई 'डार्क हॉर्स' सामने आएगा?  

प्रवेश वर्मा की लोकप्रियता और राजनीतिक सफर

प्रवेश वर्मा दो बार पश्चिमी दिल्ली से सांसद रह चुके हैं और 2019 में उन्होंने 5.78 लाख वोटों के रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की थी। इस जीत को दिल्ली की सबसे बड़ी लोकसभा जीत माना जाता है। उनके पक्ष में सबसे मजबूत तर्क यह है कि भाजपा को दिल्ली के जाट और किसान वोटर्स के बीच मजबूत संदेश देना है। हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी भाजपा को जाट समुदाय का समर्थन चाहिए, और प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर यह समीकरण मजबूत किया जा सकता है।  

सोशल मीडिया पर प्रवेश वर्मा का दबदबा

सोशल मीडिया और ऑनलाइन सर्च ट्रेंड्स के अनुसार, प्रवेश वर्मा मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे चर्चित नेता बने हुए हैं। इंस्टाग्राम पर 80,100+ नए फॉलोअर्स, साथ ही एक्स (ट्विटर) पर 17,800+ नए फॉलोअर्स। गूगल सर्च ट्रेंड में 8 फरवरी से लेकर अब तक सबसे ज्यादा सर्च किए जाने वाले भाजपा नेता। टॉकवॉकर डेटा के अनुसार, एक्स (ट्विटर) पर 1,600 से अधिक पोस्ट्स में जिक्र किया गया है।

दिल्ली के सियासी समीकरण और भाजपा का गणित

दिल्ली की राजनीति में कई सामाजिक और जातीय फैक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जाट, गुर्जर, पंजाबी और पूर्वांचली समुदायों की अलग-अलग भूमिका है। भाजपा का यह भी प्रयास होगा कि मुख्यमंत्री के चयन से सभी वर्गों को साधा जाए।  

क्या अमित शाह और मोदी की पसंद हैं प्रवेश वर्मा?

भाजपा नेतृत्व ने 2020 के चुनावों के दौरान कई बार संकेत दिए थे कि अगर पार्टी दिल्ली में जीतती है तो प्रवेश वर्मा मुख्यमंत्री बन सकते हैं। खुद गृह मंत्री अमित शाह ने अरविंद केजरीवाल को प्रवेश वर्मा से बहस की चुनौती दी थी, जबकि वे उस समय विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ रहे थे। दिल्ली के ही सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का नाम तब अमित शाह की जुबान पर नहीं आया, जिससे यह संकेत मिलता है कि शीर्ष नेतृत्व पहले से ही प्रवेश वर्मा को मजबूत दावेदार मानता रहा है।  

शपथ ग्रहण की तारीख और समय में बदलाव, क्या संकेत मिल रहे हैं?

दिल्ली के नए मुख्यमंत्री को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज है, खासकर प्रवेश वर्मा की दावेदारी पर चर्चा जोरों पर है। पहले शपथ ग्रहण समारोह 20 फरवरी को शाम 4:30 बजे तय किया गया था, लेकिन अब इसे बदलकर सुबह 11:00 बजे कर दिया गया है, जिससे राजनीतिक हलकों में अटकलें और तेज हो गई हैं। प्रवेश वर्मा को दिल्ली में भाजपा का सबसे लोकप्रिय चेहरा माना जा रहा है। सोशल मीडिया और ऑनलाइन सर्च में भी वे सबसे आगे हैं, जिससे उनकी जनस्वीकार्यता साफ झलकती है। जाट समुदाय को साधने के लिए भी वे एक बेहतरीन विकल्प माने जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहने और अब तक कोई भी चुनाव न हारने का उनका रिकॉर्ड उनकी मजबूती को दर्शाता है। इसके अलावा, मोदी-शाह की टीम में उनकी विश्वसनीयता भी मजबूत मानी जा रही है, जिससे उनकी दावेदारी और प्रबल हो जाती है।

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क्या प्रवेश वर्मा की लोकप्रियता ही उनकी कमजोरी बन रही है?

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस तरह महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की जगह एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया, उसी तरह दिल्ली में भाजपा कोई नया नाम सामने ला सकती है। अगर ऐसा होता है, तो यह भाजपा की नई रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें मजबूत क्षेत्रीय नेताओं को केंद्रीय भूमिका से दूर रखा जाता है और अपेक्षाकृत कम चर्चित नेताओं को आगे लाया जाता है।

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दिल्ली की जीत से भाजपा को क्या फायदा होगा?

भाजपा ने हाल ही में हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव जीते हैं, लेकिन दिल्ली की जीत भाजपा को पूरे देश में एक मजबूत संदेश देने का मौका देगी। अगर प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो इसका सीधा असर हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जाट समुदाय पर पड़ेगा, जो आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा के लिए बेहद अहम हो सकता है। अब सबकी नजरें भाजपा नेतृत्व पर टिकी हैं कि क्या वह किसी सरप्राइज नाम की घोषणा करता है या फिर प्रवेश वर्मा को दिल्ली की कमान सौंपता है। फैसला जो भी हो, लेकिन 'दूल्हा कौन होगा?' का जवाब जल्द ही सामने आने वाला है।

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