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हरियाणा के अंबाला में शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच में दूसरी बार विफल होने के बाद अब किसान 8 दिसंबर को फिर से प्रयास करेंगे। किसानों ने केंद्र सरकार को बातचीत का ऑफर दिया। साथ ही दिल्ली कूच को लेकर दोबारा रणनीति बनानी शुरू कर दी।

अंबाला: शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच में दूसरी बार विफल होने के बाद अब किसान 8 दिसंबर को फिर से प्रयास करेंगे। किसानों ने केंद्र सरकार (Central Government) को एक बार फिर बातचीत के लिए ऑफर दिया है। संयुक्त किसान मार्चा के संयोजक सरवण सिंह पंधेर ने कहा कि शनिवार तक केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के निमंत्रण का इंतजार करेंगे। बातचीत शुरू न हुई तो फिर रविवार यानि 8 दिसंबर को 12 बजे 101 किसानों के जत्थे फिर दिल्ली कूच की कोशिश करेंगे। इसको लेकर किसान नए सिरे से रणनीति बना रहे हैं।

आंसू गैस से निपटने पर की कसरत

पुलिस की ओर से लगातार दागे जा रहे आंसू गैस के गोले किसानों की राह फिर मुश्किल कर रहे हैं। शुक्रवार को भी इन गोलों ने किसानों को आगे बढ़ने नहीं दिया। पुलिस की ओर से किसानों को रोकने के लिए दो दर्जन से ज्यादा आंसू गैस (Tear Gas) के गोले दागे गए। इसी वजह से किसानों को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा। हालांकि किसानों ने गोलों से निकलने वाली गैस से निपटने के लिए मौके पर गीली बोरियों का इस्तेमाल किया था। काफी गोलों को युवा किसानों ने बोरियों के जरिए ध्वस्त कर दिया। अब गोलों से बचाव के लिए किसान दूसरे विकल्पों पर अध्ययन कर रहे हैं।

फिर नए सिरे से की बैरिकेटिंग

किसानों को रोकने के लिए पुलिस सुरक्षा बंदोबस्तों में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ रही। अब पुलिस ने किसानों के नए ऐलान के बाद दोबारा शंभू बॉर्डर (Shambhu Border) के आसपास पूरे हाइवे पर कई जगह मजबूत बैरिकेट लगाए हैं। भारी भरकम सीमेंट के बैरिकेट के साथ लोडिड ट्रकों को बीच रास्ते में खड़ा किया गया है। पैदल इन बैरिकेड को पार करना किसानों के लिए मुश्किल नजर आ रहा है। हालांकि किसान शांतिपूर्ण तरीक से सभी बैरिकेट पार कर दिल्ली कूच करने की बात कह रहे हैं।

सड़क पर गाड़ी कीलें

किसानों को रोकने के लिए पुलिस की ओर से एक बार फिर सड़क पर कीलें गाड़ी गई हैं। ये कीलें शुक्रवार को भी किसानों के लिए मुसीबत बनी। कई किसान इन कीलों में उलझकर जख्मी हो गए। हालांकि किसान कंटीली तारों से निपटने में मजबूत दिखे। मगर मजबूत कीलें उनके राह का रोड़ा बन गई। पुलिस के बंदोबस्त किसानों के हौसले पर भारी पड़ते दिख रहे हैं।

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