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हरियाणा के भिवानी में सौरव कसाना ने अपने 8वें प्रयास में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का पद हासिल कर जिले का नाम रोशन किया। 7 बार विफल होने के बाद भी सौरव ने हिम्मत नहीं हारी और सफलता हासिल की।

भिवानी: कौन कहता है आसमां में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों, इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है गांव गुजरानी निवासी सुंदर सिंह के पुत्र सौरव कसाना ने। सौरव ने अपनी लगातार सात बार की विफलता के बाद भी भारतीय नौसेना में भर्ती होने की उम्मीद नहीं छोड़ी। सौरव ने अपने 8वें प्रयास में नौसेना में लेफ्टिनेंट के पद पर भर्ती होकर देश की सेवा करने की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए है। सौरव के लेफ्टिनेंट बनने पर गांव गुजरानी में खुशी का माहौल है।

कड़ी मेहनत व दृढ़ निश्चय से मिली सफलता

हमारा अपना फाउंडेशन के सैनिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष महेश चौहान ने बताया कि सौरव कसाना मेहनत एवं ढृढ़ निश्चय की एक मिसाल अन्य युवाओं के लिए बने है। सौरव ने यह साबित कर दिखाया कि जब आपके इरादे मजबूत एवं मेहनत में कमी न हो तो एक ना एक दिन सफलता आपके कदम जरूर चूमती है। अक्सर देखने में आता है कि अधिकतर युवा किसी भी क्षेत्र में दो-तीन बार की विफलता के बाद ही आगे बढ़ने की उम्मीद छोड़ देते है, लेकिन सौरव ने उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बनने का काम किया।

सौरव के पिता व दादा भी कर चुके देश की सेवा

महेश चौहान ने बताया कि सौरव के पिता सुंदर सिंह भारतीय जलसेन से पेटी अफसर के पद से सेवानिवृत्त है और फिलहाल जिला सैनिक व अर्ध सैनिक कल्याण ऑफिस भिवानी में वेलफेयर ऑफिसर के पद पर तैनात है। सौरव के दादा रामेश्वर कसाना भी भारतीय सेना में रहते हुए देश की सेवा कर चुके हैं। महेश ने बताया कि सौरव का बचपन से ही सपना था कि वह भारतीय सेना में भर्ती होकर देशसेवा करें, जिसका सपना अब पूरा हुआ है, जिसकी उन्हें बेहद खुशी है।

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