फतेहाबाद: अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई के भाव में आई मंदी और दक्षिण भारत में नरमे की भारी आवक के चलते इन दिनों नरमे के भाव 1300 रुपए तक औंधे मुंह गिर गए हैं। नरमे की आवक सबसे पहले हरियाणा (Haryana) में होती है। दीपावली के पहले जब नरमा हरियाणा की मण्डियों में आया तो उस समय शॉर्टेज के कारण रूई के भाव 5800 रुपए प्रति मन थे। जिस कारण नरमे के भाव 8300 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए। अब रूई के भाव टूटकर 5500 रुपए प्रति मन रह गए। यही कारण है कि नरमे के भाव में 1300 रुपए तक गिरकर 7000 रुपए प्रति क्विंटल तक आ गए हैं।

नरमे की बंपर आवक से टूटे दाम

नरमे की शॉर्टेज के चलते बिनौला 4700 रुपए तक पहुंच गया था जबकि रूई के भाई 5800 रुपए प्रति मन थे। उसके बाद दक्षिण भारत के राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश में नरमे की भारी आवक शुरू हुई तो यहां बिनौले के भाव गिरकर 3350 रुपए प्रति क्विंटल व रूई के भाव 5500 रुपए प्रति मन रह गए। कॉटन ब्रोकरों का मानना है कि नरमा डिमांड के हिसाब से दोगुना आ रहा है। भारत में 1.90 लाख रूई की गांठों की सप्लाई हो रही है जबकि डिमांड केवल 80 से 90 हजार गांठों की है। इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय बाजार भी बड़ा कारण रहा है।

किसानों को लूट रहे निजी खरीदार

कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) द्वारा नरमे की खरीद न करने से निजी खरीददार किसानों को जमकर लूट रहे हैं। प्राइवेट खरीदार किसानों से 6800 से लेकर 7100 रुपए तक ही नरमे को खरीद रहे है। इससे किसानों को प्रति एकड़ 4 से 5 हजार रुपए घाटा हो रहा है। किसानों ने मार्केट कमेटी सचिव से एमएसपी (MSP) पर फसल खरीदवाने का आग्रह किया। उसके बाद अब भट्टूकलां मंडी में भारतीय कपास निगम के अधिकारी ने खरीद के लिए व्यवस्था बनानी शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि वीरवार से खरीद शुरू कर देंगे।

पिछले साल से 30 फीसदी घटा नरमे का रकबा

पिछले कई सालों से गुलाबी सुंडी व सफेद मक्खी के प्रकोप के कारण नरमा उत्पादक किसानों का नरमे की फसल से मोह भंग हो गया। यही कारण है कि इस बार बीते वर्ष से 30 फीसदी तक नरमे का रकबा कम हो गया है। पिछले साल के मुकाबले इस बार नरमे का औसत उत्पादन अधिक हुआ है, लेकिन किसान मंडी में नरमा लेकर नहीं आ रहे। इसकी वजह है कि किसानों को लग रहा है कि नरमे का भाव इस बार 10 हजार तक आएगा। हालांकि अब भाव 8 हजार से वापस 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल हो गया। ऐसे में किसान हताश है।