हरियाणा में गन कल्चर सॉन्ग विवाद : हरियाणा की म्यूजिक इंडस्ट्री में इन दिनों गन कल्चर के कुछ गानों के बैन होने पर विवाद छिड़ा हुआ है। सबसे ज्यादा हंगामा फेमस हरियाणवी सिंगर मासूम शर्मा के वायरल गानों को बैन करने पर हो रहा है। लोग इसे सरकार की भेदभावपूर्ण कार्रवाई बता रहे हैं कि सबसे ज्यादा टारगेट मासूम शर्मा को किया गया है। गन कल्चर के गाने तो बहुत सारे सिंगर गाते हैं। इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जो सरकार के बेहद नजदीकी है, लेकिन उनके गाने बैन नहीं करवाए गए। इस सारे विवाद के बीच मासूम शर्मा ने मीडिया रिपोर्ट्स में बड़ी बात कही है। मासूम शर्मा ने यहां तक कह दिया कि यदि उनके ऊपर ज्यादा ज्यादती होगी तो वे हरियाणा छोड़कर विदेश से गाने निकालेंगे। इससे बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या मासूम शर्मा सच में हरियाणा छोड़ रहे हैं?
सरकार बताए - मेरे गाने सुनकर कितने बदमाश बने
मीडिया रिपोर्ट्स में मासूम शर्मा ने कहा कि सरकार यह बताए कि उनके गानों को सुनकर कितने बदमाश बने हैं। किसी बड़े बदमाश से सरकार इंटरव्यू करवाकर पता कर सकती है कि क्या वह मासूम शर्मा के गाने सुनकर बदमाश बना है। इसके बावजूद वह सरकार के फैसले के साथ हैं, लेकिन सभी गायकों के लिए एक समान पॉलिसी होनी चाहिए। मेरे गाने तो यूट्यूब पर पूरे देश में बैन हुए हैं, क्या सरकार पूरे देश के गन कल्चर वाले गाने बैन करवा सकती है? ऐसी फिल्में बैन करवा सकती है?
पहले कलाकार बसों की छतों पर धक्के खाते थे, अब जाकर हालात सुधरे थे
मासूम शर्मा ने कहा कि पिछले 15 साल में ही हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री में नई जान आई है। इससे पहले तक हरियाणा में पंजाबी गाने ही ज्यादा बजते थे। खुद हरियाणवी गायक ज्यादातर पंजाबी ट्रैक पर ही गाते थे। अब जाकर सभी हरियाणवी कलाकारों की मेहनत से हालात सुधर रहे हैं। पहले हरियाणवी कलाकारों ने यह दिन तक देखे हैं कि वे बसों की छत पर बैठकर प्रोग्राम करने जाते थे। अब थोड़े हालात सुधर रहे हैं तो कुछ लोगों को यह हजम नहीं हो रहा। वे सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं।
हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री में आएगा डाउनफॉल
मासूम शर्मा ने कहा कि इस तरह गानों को बैन करने से हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री में बड़ा डाउनफॉल आ सकता है। जब एक गाने की शूटिंग होती है तो 100 से ज्यादा लोगों व कलाकारों को काम मिलता है। अब इस इंडस्ट्री से जुड़े कलाकारों व अन्य स्टाफ को महीने में 20-25 दिन भी काम मिल जाता है। बच्चे 1000 से 5000 रुपये के मेहनताने पर काम करते हैं। यदि उनसे यह रोजगार छीन जाता है तो क्या सरकार उन्हें रोजगार देगी।
मैं तो जागरण करके भी काम चला लूंगा, बाकी की सोचो
मासूम शर्मा ने कहा कि सरकार को इस बारे में एक पारदर्शी पॉलिसी बनाकर सही इंसान को इसकी कमान सौंपनी चाहिए। यदि सभी के लिए यह फैसला लागू होता है तो मैं तो जागरण करके भी अपना घर चला लूंगा, मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
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