नारनौल: जैनपुर आंतरी के पहाड़ पर अवैध खनन को रोकना विभाग के लिए चोर सिपाही का खेल साबित हो रहा है। कार्रवाई के लिए विभागीय टीम कार्यालय से रवाना होती है, लेकिन मौके पर पहुंचने से पहले ही माफिया संसाधनों समेत भागने में कामयाब हो जाते है। निरीक्षण के बाद टीम कार्यालय में नहीं पहुंचती, उससे पहले दुबारा खनन शुरू हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में बाइक सवार गुप्तचरों की भूमिका जिला प्रशासन व विभाग के लिए सिर दर्द बनी हुई है। मजबूत नेटवर्क तैयार करके खनन माफिया (Mining Mafia) ने पहाड़ पर करीब 53 खदानों का निर्माण करके खनन करना आरंभ कर दिया, जिससे पहाड़ व उसकी हरियाली के अस्तित्व को खतरा बढ़ गया।

क्षेत्र में गहराया भूजल संकट

बीते कई दशकों से क्षेत्र में पर्याप्त बारिश नहीं हो रही, जिस कारण जमीन का भूजल रिचार्ज नहीं होता और गांवों में पेयजल संकट की समस्या बढ़नी आरंभ हो गई। नांगल चौधरी निजामपुर में सर्वाधिक खनन होने की वजह से यहां दो हजार फीट की गहराई तक जलस्रोत नहीं मिलते। रिपोर्ट मिलने पर सरकार ने दोनों ब्लॉकों को डॉर्कजोन घोषित कर दिया तथा अवैध खनन पर अंकुश लगाने का प्रपोजल तैयार किया गया। अधिकांश पहाड़ तथा नदियों को अरावली जोन में शामिल करके पौधारोपण कराया गया। साथ ही तर्क दिया कि हरियाली बढ़ने से पर्यावरण शुद्ध होगा और पर्यावरण की शुद्धता से पर्याप्त बारिश संभव हो पाएगी।

टॉस्क फोर्स नहीं पकड़ पा रही खनन माफिया

क्षेत्र में हरियाली की सुरक्षा के लिए टॉस्क फोर्स का गठन किया, जिसमें पंचायत, फोरेस्ट, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, माइनिंग, भूजल विभाग के अधिकारी शामिल किए। जिला टॉस्क फोर्स (Task Force) द्वारा पहाड़ों व नदियों में छापेमारी की जाती है, बावजूद जैनपुर आंतरी गांव के पहाड़ पर स्थिति भयावह बनी हुई है। करीब चार किलोमीटर लंबे पहाड़ पर माफिया ने 53 से अधिक खदान तैयार कर ली, जिनमें रोजाना 45 से 50 ट्रैक्टर ट्राली पत्थरों का खनन होता है। खनन की रफ्तार बढ़ने की वजह से हरियाली का अस्तित्व खतरे में पड़ गया। ग्रामीणों की शिकायत पर विभागीय अधिकारी छापेमारी भी करते हैं, लेकिन माफिया संसाधनों समेत भागने में कामयाब हो जाता है।

बाइक सवार गुप्तचरों ने टॉस्क फोर्स की बढ़ाई परेशानी

सूत्रों की माने तो माफिया ने बाइक सवार गुप्तचरों का सहारा लेना आरंभ कर दिया। गुप्तचरों को विभागीय कार्यालयों तथा सड़क मार्गों के मोड़ पर तैनात किया जाता है। जो सरकारी गाड़ी या पुलिस का वाहन के खदान की तरफ मुड़ते ही माफिया को सूचित कर देते हैं। इससे 15-20 मिनट का समय मिलने पर माफिया को संसाधनों समेत भागने में कामयाबी मिल जाती है। गुप्तचरों की ओर से सूचना का आदान प्रदान करने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल किया जाता है।

हैवी ब्लास्टिंग व खदान धंसने से हो चुकी मौत

ग्रामीणों ने बताया कि कम समय में अधिक खनन करने के लिए हैवी ब्लास्टिंग का इस्तेमाल होता है। ब्लास्टिंग के पत्थर ग्रामीणों के घरों की छतों पर गिरते हैं। बीते दिनों आंतरी के पास पहाड़ में घूम रहे एक व्यक्ति की मौत हैवी ब्लास्टिंग के पत्थर से हो चुकी है। दूसरी तरफ जैनपुर गांव के पास बीते साल एक खदान धंस गई थी। इस हादसे में एक कारिंदे की मौत हुई थी। इसके अलावा खदानों के पत्थर उछलने से कई ग्रामीण चोटिल हो चुके हैं।

छापेमार टीम व पुलिस पर हो चुका हमला

ग्रामीणों ने बताया कि शिकायत मिलने पर माइनिंग विभाग की टीम ने जैनपुर के पास पहाड़ पर छापेमारी की थी। कार्रवाई के दौराना दो ट्रैक्टर तथा जेसीबी मशीन को कब्जे में लिया था, लेकिन माफिया ने छापेमार टीम पर हमला करके संसाधनों को छुड़ा लिया। इसके बाद जैनपुर मोड़ पर माफिया ने पुलिस पर पत्थराव किया। हालांकि पत्थराव के आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन ग्रामीणों में अभी भी भय का माहौल बना हुआ है।