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हरियाणा के नारनौल में खेल विभाग की तरफ से 48 खेल नर्सरियां अलॉट की गई थी, जिनमें अभ्यास करने वाले खिलाड़ी पिछले पांच माह से खुराक भत्ते का इंतजार कर रहे हैं। खुराक भत्ता न मिलने के कारण खिलाड़ियों में रोष बढ़ रहा है।

नारनौल: खिलाड़ियों की नई पौध तैयार करने के लिए खेल विभाग ने इस साल 48 खेल नर्सरियां अलॉट की है। प्रत्येक खेल नर्सरी (Sports Nursery) में करीब 20 से 30 खिलाड़ियों का चयन हुआ था। दिशा निर्देश के बाद जिला में 15 जून को यह खेल नर्सरियां शुरू कर दी गई थी। अब पांच माह का समय बीत चुका है। इन खेल नर्सरियों में प्रैक्टि्स करने वाले खिलाड़ियों को अभी तक खुराक भत्ता के रूप में मिलने वाली राशि नहीं मिली है। इसके कारण खिलाड़ियों में रोष बढ़ता जा रहा है।

जून में अलॉट हुई थी 976 खेल नर्सरियां

खेल विभाग की ओर से जून 2024 में हरियाणा भर में 976 खेल नर्सरियां अलाट की गई थी। इस पत्र में खेल विभाग के प्रधान सचिव नवदीप सिंह विर्क ने बताया था कि इन सभी सरकारी/निजी शिक्षण संस्थान, निजी खेल संस्थान व ग्राम पंचायतों को निर्देश दिए जाते है कि वे हिदायतानुसार आवंटित खेल नर्सरियों में खिलाड़ियों का चयन करने उपरांत चयनित खिलाड़ियों की वांछित सूचना व नर्सरी में नियुक्त किए गए प्रशिक्षक (Coach) की सूचना खेल नर्सरी पोर्टल पर अपलोड करना सुनिश्चित करें।

खेल विभाग में जमा करवानी थी सत्यापित प्रति

खेल विभाग की तरफ से जारी निर्देशानुसार संबंधित दस्तावेजों की सत्यापित प्रति अपने जिला खेल कार्यालय में जमा करवाएं। खेल नर्सरी हिदायतानुसार सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने उपरांत आवंटित खेल नर्सरियों को 15 जून से संचालित करना सुनिश्चित करें। खेल विभाग ने इस योजना के लिए नियम तय किए हुए है कि आठ से 14 साल के बच्चों को खुराक भत्ता के तौर पर 1500 रुपए प्रति माह और 15 से 19 साल के युवा खिलाड़ियों को दो हजार रुपए मासिक राशि मिलेगी। यह राशि उनके बैंक (Bank) अकाउंट में सीधी आएगी। योजना के पीछे तर्क था कि खिलाड़ी यह पैसा अपनी डाइट के रूप में इस्तेमाल करें।

सरकारी महज 4, प्राईवेट संस्थाओं के जिम्मे 44

जिला में 48 खेल नर्सरियां इस समय चल रही है। इनमें सबसे कम चार सरकारी स्कूल है। करीब 30 प्राईवेट स्कूल और बाकी स्पोर्ट्स एकेडमी व ग्राम पंचायत या गांव के युवाओं की ओर से बनाए गए क्लबों को खेल नर्सरी दी गई है। आम धारणा है कि प्राईवेट स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से वैसे भी मोटी फीस वसूली जाती है, जिसमें खेल गतिविधियां शामिल होती है। अगर यह खेल नर्सरियां उन्हें ना भी मिले तो भी उन्हें खेल गतिविधियां करवानी ही होती है। इन्हें खेल नर्सरियां मिलने से दोनों काम हल होंगे। खिलाड़ी तैयार होंगे, उनका पैसा प्राइवेट स्कूल संस्थान खेल विभाग से लेगी और खेल नर्सरी में तैयार होने वाले अव्वल परिणाम को प्राइवेट संस्था खुद भुनाएगी।

क्या कहते है खेल विभाग के अधिकारी

कार्यकारी जिला खेल अधिकारी नरेंद्र कुंडू ने बताया कि महेंद्रगढ़ जिला को 48 खेल नर्सरियां अलॉट हुई है। खुराक भत्ता नहीं मिलने संबंधित विषय से उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया हुआ है। उम्मीद है कि जल्द ही खिलाड़ियों की समस्या का समाधान हो जाएगा।

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