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हरियाणा की सोनीपत लोकसभा सीट अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही हैरानी भरे जनादेश देती रही है। हर बार चुनावों में बड़े बड़े दिग्गजों को धूल चटाने का काम किया है। इसमें भूपेंद्र हुड्डा हो, देवीलाल हो या किशन सिंह सांगवान हो, सभी को बड़ा उलटफेर कर हराने का काम किया।

दीपक वर्मा, Sonipat: सोनीपत लोकसभा सीट अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही हैरानी भरे जनादेश देती रही है। बात चाहे 2019 की हो, जब कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हार नसीब हुई या फिर बात चाहे 2009 की हो, जब तीन बार के सांसद किशन सिंह सांगवान हारे या फिर दिग्गजों को पटखनी देकर निर्दलीय अरविंद शर्मा चुनाव जीते या फिर दिग्गज देवीलाल को हार का स्वाद चखना पड़ा। इन्हीं वजहों से सोनीपत लोकसभा का इतिहास रोचक हो जाता है। इसी इतिहास का अध्ययन करने पर पता चलता है कि सोनीपत लोकसभा में एक प्लान छोड़कर अगले प्लान में चुनाव करीबी रहता है। जिसमें कौन प्रत्याशी जीत रहा है और कौन हार रहा है, इसकी भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल काम हो जाता है।

हार जीत का अंतर भी 10 प्रतिशत से रहता है कम

सोनीपत लोकसभा सीट पर हार-जीत का अंतर कुल वैध मतों के 10 प्रतिशत से भी कम रह जाता है। कम से कम चार प्लान से तो ऐसा ही हो रहा है। 2004 में हार-जीत का अंतर सिर्फ एक प्रतिशत मतों पर हुआ था। वहीं 2014 में 7.84 प्रतिशत मतों का ही अंतर रहा था। एक तरह से सोनीपत के मतदाताओं का पैटर्न बन गया है। इस पैटर्न को फोलो करने पर पता चलता है कि इस बार के चुनावों में मुकाबला करीबी हो सकता है। क्योंकि 2014 में त्रिकोणीय मुकाबले के बीच फंसी सोनीपत लोकसभा सीट ने 2019 में अच्छे-खासे अंतर से भाजपा को जितवाया था।

2004, एक प्रतिशत से जीती थी भाजपा

2004 में सोनीपत लोकसभा चुनावों में भाजपा के किशन सिंह सांगवान ने 31.77 प्रतिशत मत हासिल किए थे, वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के धर्मपाल मलिक ने 30.7 प्रतिशत मत प्राप्त किए थे। इस तरह से 1 प्रतिशत मतों से ही भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इन चुनावों में इनेलो के कृष्ण मलिक ने 27 प्रतिशत मत हासिल कर मुकाबले को त्रिकोणीय किया था।

2009 में एकतरफा जीती थी कांग्रेस

2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के जितेंद्र मलिक ने 47.56 प्रतिशत मत हासिल करते हुए जीत हासिल की। निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के किशन सिंह सांगवान थे, जिन्हें 24.92 प्रतिशत मत मिले थे। इस तरह से कांग्रेस ने 22.64 प्रतिशत मत अधिक प्राप्त कर बड़ी जीत हासिल की थी।

2014 में त्रिकोणीय था मुकाबला

2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा, कांग्रेस और इनेलो के बीच त्रिकोणीय मुकाबला बना था, हालांकि भाजपा के रमेश कौशिक ने 7.84 प्रतिशत अधिक मत प्राप्त कर जीत दर्ज की थी। उन्होंने 35.19 प्रतिशत मत हासिल किए थे। जबकि कांग्रेस के जगबीर मलिक ने 27.35 और इनेलो के पदम सिंह दहिया ने 26.80 प्रतिशत मत प्राप्त किए थे।

2019 में आधे से ज्यादा वोट लेकर जीती भाजपा

2019 के चुनाव में भाजपा के रमेश कौशिक ने अपने पिछले प्रदर्शन को सुधारते हुए 52.03 प्रतिशत मत हासिल किए थे। सबसे करीबी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे, जिन्हें 37.43 प्रतिशत मत मिले थे। 14.6 प्रतिशत अधिक मत प्राप्त कर भाजपा ने अच्छी खासी जीत दर्ज की थी। एक तरह से यह जीत एकतरफा जीत कही जा सकती है, क्योंकि भाजपा ने 1 लाख 64 हजार 864 मत अधिक प्राप्त किए थे।

इस बार भी करीबी हो सकता है मुकाबला

सोनीपत के इतिहास से पता चलता है कि एक प्लान छोड़कर दूसरे प्लान में करीबी मुकाबले होते रहे हैं। जिसमें जीत और हार का अंतर भी काफी कम रहता है और कौन जीतेगा इसकी भविष्यवाणी करना भी काफी मुश्किल होता है। इतिहास की बात को छोड़ भी दें तो फिर भी सोनीपत लोकसभा चुनाव इस बार करीबी हो सकता है। विशेष तौर पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला रहेगा। मौजूदा समय में भी इसका स्पष्ट संकेत मिलता है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच यहां कांटे की टक्कर होगी।

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