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हरियाणा के रेवाड़ी बस स्टेंड पर परमिट आधारित प्राइवेट बस परिचालकों की मनमानी और दादागिरी रोडवेज विभाग पर भारी पड़ रही है। मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में एक ओर बसों का संचालन निर्धारित समय सारिणी के हिसाब से नहीं किया जा रहा, वहीं बूथों पर समय की पालना तक नहीं की जाती।

Rewari:  सामान्य बस स्टेंड पर परमिट आधारित प्राइवेट बस परिचालकों की मनमानी और दादागिरी रोडवेज विभाग पर भारी पड़ रही है। मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में एक ओर बसों का संचालन निर्धारित समय सारिणी के हिसाब से नहीं किया जा रहा, वहीं बूथों पर समय की पालना तक नहीं की जाती। रोडवेज के ईमानदार कर्मचारी जब समय होने के बाद बसों को बूथ से हटवाते हैं, तो प्राइवेट बसों के चालक-परिचालक उनके साथ हाथापाई करने पर उतारू हो जाते हैं। शनिवार को भी एक प्राइवेट बस कंडक्टर रोडवेज कर्मचारी के साथ हाथापाई पर उतारू हो गया।

प्राइवेट बस मालिकों के साथ चंद रोडवेज कर्मी भी शामिल

बस स्टेंड पर प्राइवेट बस मालिकों को फायदा पहुंचाने के लिए चंद रोडवेज कर्मचारी भी उनके साथ मिले हुए हैं। यह कर्मचारी कई बार रोडवेज की यात्रियों से भरी हुई बसों को समय का हवाला देते हुए खाली कराकर वापस वर्कशॉप भेज देते हैं। रोडवेज बसों के यात्रियों को प्राइवेट बसों में बैठाकर रवाना कर दिया जाता है, जिससे विभाग को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ईमानदारी से अपने फर्ज को अंजाम देने वाले रोडवेज कर्मचारियों को आए दिन प्राइवेट बस चालक-परिचालकों के दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। समय को लेकर चल रही कशमकश के बीच यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सूत्रों के अनुसार प्राइवेट बस ऑपरेटरों का समय आरटीए कार्यालय की ओर से निर्धारित करने के बाद उसे रोडवेज विभाग को मुहैया कराया हुआ है। इसके तहत रोडवेज बसों के समय के साथ सामंजस्य बनाते हुए प्राइवेट बसों का समय निर्धारित है।

महेंद्रगढ़-नारनौल बूथों का बुरा हाल

सूत्र बताते हैं कि नारनौल और महेंद्रगढ़ रूटों की बसों को लेकर बूथों पर रोजाना अव्यवस्था का आलम बना रहता है। डीजल बचाने के चक्कर में कई प्राइवेट बसों को निर्धारित समय पर चलाने की बजाय सवारियां नहीं होने पर महेंद्रगढ़, नारनौल और रेवाड़ी रोक दिया जाता है। उन बसों का समय पूरा होने के बाद दूसरी प्राइवेट बस को लगा दिया जाता है। इससे दो बसों की सवारियां एकत्रित हो जाती हैं। प्राइवेट बसों के चक्कर जानबूझकर मिस किए जाते हैं, ताकि कम सवारियां होने की स्थिति में डीजल की बचत हो सके।

ज्यादा सवारियां होते ही बूथ पर बस

प्राइवेट बसों के चालक-परिचालकों की नजर उन बूथों पर रहती है, जिन पर अधिक सवारियां खड़ी हो जाती हैं। रोडवेज बस की टाइमिंग में जरा सी चूक होते ही प्राइवेट बसों को अधिक भीड़ वाले बूथ पर लगा दिया जाता है। इसके बाद रोडवेज बस पहुंचती है, तो उसे बूथ पर लगाने से रोका जाता है। शुक्रवार को 1:44 बजे रोडवेज की एक बस खाली कराने के बाद उसके स्थान पर प्राइवेट बस को भेज दिया गया। रोडवेज बस चालक-परिचालकों की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं मिला। ऐसे उदाहरण आए दिन देखने को मिल रहे हैं।

कंडक्टर लाइसेंस तक नहीं इनके पास

अधिकांश प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने पैसा कमाने के चक्कर में बदतमीज और दादागिरी करने वाले परिचालक रखे हुए हैं। अधिकांश प्राइवेट बस कंडक्टरों के पास वैध लाइसेंस तक नहीं हैं, जबकि बिना लाइसेंस यह लोग परिचालक के रूप में सेवा नहीं दे सकते। यात्रियों के साथ दुर्व्यहार की शिकायतें भी इन कंडक्टरों के कारण आए दिन आती रहती हैं। रोडवेज जीएम के पास इनके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार नहीं है और शहर में आरटीए कार्यालय मौजूद नहीं है, जिस कारण यात्री शिकायत तक दर्ज नहीं करा पाते।

सीसीटीवी फुटेज खोल सकती है पोल

बस स्टेंड पर सीसीटीवी लगे हुए हैं। अगर एक माह के दौरान इन कैमरों की फुटेज चेक की जाए, तो प्राइवेट बसों पर मेहरबानी का पूरा खेल आसानी से उजागर हो सकता है। फुटेज में यह बात सामने आ सकती है कि एक माह के दौरान किस बूथ पर किस प्राइवेट बस को कितना समय दिया गया। प्राइवेट बस ऑपरेटरों पर चंद कर्मचारियों की मेहरबानी भी फुटेज से ही सामने आ सकती है। अधिकारी फुटेज चेक करने तक को तैयार नहीं हैं।

कर्मचारी से ली जाएगी शिकायत

रोडवेज के जीएम देवदत्त ने कहा कि इस मामले में संबंधित कर्मचारी से शिकायत ली जाएगी। शिकायत के आधार पर प्राइवेट बस परिचालक के खिलाफ एक्शन लेने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। बसों की टाइमिंग को लेकर भी जांच कराई जाएगी।

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