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हरियाणा के हिसार स्थित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गलत पदोन्नति करने के मामले में हाई कोर्ट ने विवि के खिलाफ वारंट जारी किए। वारंट जारी होते ही विवि प्रशासन ने राजेश कालिया को रिवर्ट कर दिया। साथ ही हाई कोर्ट को इस निर्णय से अवगत करवाते हुए वारंट वापस लेने की गुहार लगाई।

राजेश्वर बैनीवाल, Hisar: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा वारंट जारी किए जाने के बाद हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन ने गलत ढंग से पदोन्नत किए गए राजेश कालिया को पदावनत (रिवर्ट) कर दिया। राजेश कालिया को रिवर्ट करने उपरांत एचएयू प्रशासन ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को अवगत करवा दिया। इस संबंध में प्रतिवादी नंबर दो एवं विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की ओर से हाल ही में जारी आदेशों में राजेश कालिया को रीवर्ट करते हुए कहा कि उन्हें फिर से रजिस्ट्रार कार्यालय में सीनियर स्केल स्टेनोग्राफर के पद पर लगा दिया गया है। रजिस्ट्रार कार्यालय ने उच्च न्यायालय को अवगत करवाया है कि 18 अप्रैल 2023 के आदेशों की पालना करते हुए इसको रीवर्ट कर दिया है।

हाईकोर्ट ने वारंट लिए वापिस

गलत ढंग से पदोन्नत किए गए राजेश कालिया को रीवर्ट करने के आदेश जारी करने व उच्च न्यायालय को अवगत करवाने के बाद उच्च न्यायालय ने एचएयू प्रशासन के वारंट वापिस ले लिए हैं। प्रतिवादी नंबर दो एवं रजिस्ट्रार ने हाईकोर्ट को बताया गया कि पूर्व में दिए गए आदेशों की पालना कर दी गई है, ऐसे में अनुरोध है कि वारंट वापिस लिए जाएं। एचएयू प्रशासन के अनुरोध पर उच्च न्यायालय ने पिछले दिनों जारी वारंट वापिस ले लिए हैं।

कुलपति ने लगाई जमकर झाड़

बताया जा रहा है कि मामले के लिस्टेड होने की बात सामने आई तो कुलपति भी सकते में आ गए। उन्हें समझ आया कि वास्तव में मामला लिस्टेड था और इस मामले में संबंधित शाखा द्वारा लापरवाही बरती गई है। पूरा मामला सामने आने के बाद कुलपति ने संबंधित शाखा के अधिकारियों को डांट लगाई और मामला ठीक से देखने के निर्देश दिए। बताया जा रहा है कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा एचएयू के वारंट निकालने का यह पहला मामला है। हाईकोर्ट द्वारा वारंट निकालने से हुई किरकिरी से विश्वविद्यालय प्रशासन सकते में है, क्योंकि अब से पहले ऐसी कोई नौबत नहीं आई थी कि हाईकोर्ट या किसी अन्य कोर्ट को एचएयू के वारंट निकालने पड़े हो।

यह था पूरा मामला

मामले के अनुसार 28 फरवरी 2023 को पीए पद से शिवदयाल मेहता के रिटायर होने पर उनका पद खाली हो गया था। चूंकि वे सामान्य श्रेणी से रिटायर हुए थे और उनकी जगह पर अगली पदोन्नति सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को ही मिलनी थी। पद खाली होते ही एक उम्मीदवार अमरलाल को स्टेनोग्राफर से पीए बनना था, इसलिए उक्त उम्मीदवार ने एक अप्रैल 2023 को विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष अपनी पदोन्नति के लिए प्रस्तुति दे दी।

यहां से शुरू हुआ खेल, हकदार को किया वंचित

अमरलाल ने जैसे ही अपनी पदोन्नति के लिए प्रस्तुति दी, तो चहेतों को नवाजने का खेल शुरू हो गया। यहां से नियमों को तोड़-मरोड़कर राजेश कालिया की पदोन्नति की फाइल चला दी गई। बताया जा रहा है कि पूरे मामले को रजिस्ट्रार व सहायक रजिस्ट्रार कार्यालय में मिलीभगत से अंजाम दिया गया और अथोरिटी को गुमराह करते हुए राजेश कालिया की त्वरित पदोन्नति का केस चला दिया गया।

अमरलाल पहुंचा हाईकोर्ट, मिला स्थगन

अपने साथ नाइंसाफी की बात कहते हुए अमरलाल ने 18 अप्रैल 2023 को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अमरलाल ने इस मामले में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव राज कम्बोज व रजिस्ट्रार बलवान सिंह मंडल को पार्टी बनाया और अपने साथ नाइंसाफी की बात रखी। हाईकोर्ट ने मामले पर त्वरित सुनवाई करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दिए गए पदोन्नति के आदेशों पर स्थगन आदेश दे दिए।

अमरलाल को दिया नोटिस, किया तबादला

अमरलाल द्वारा न्याय की गुहार लगाने के लिए हाईकोर्ट जाना विश्वविद्यालय प्रशासन को नागवार गुजरा और अमरलाल को सबक सिखाने का मौका ढूंढा जाने लगा। विश्वविद्यालय प्रशासन को यह मौका भी मिल गया। बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अमरलाल को तीन मई 2023 को शोकाज जारी कर दिया, जिसमें कहा गया कि आपने हाईकोर्ट के आदेश मेल से क्यों भेजे। इसके साथ ही उसका तबादला करते हुए एक विभाग से दो विभाग दे दिए गए।

सम्मन की परवाह नहीं की तो जारी किए वारंट

बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए सम्मन आदेशों की कोई परवाह नहीं की और वहां पर शपथ पत्र भी प्रस्तुत नहीं किया। इस पर याचिकाकर्ता अमरलाल ने हाईकोर्ट में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ अवमानना का मामला डाल दिया। इस मामले में एक दो तारीखें लगी। इसी मामले में हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन के जमानती वारंट जारी किए हैं। साथ ही आदेशों में लिखा कि एचएयू प्रशासन की तरफ से कोई वकील भी हाजिर नहीं हुआ। अब इस मामले की अगली सुनवाई आगामी 22 मई को होनी है।

प्रशासन ने दिया था चौंकाने वाला जवाब

विश्वविद्यालय अधिकारियों के जमानती वारंट जारी होने के मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने सही बात बताने की बजाय चौंकाने वाला जवाब दिया। विश्वविद्यालय प्रशासन से बात करने पर कहा कि यह मामला लिस्टेड नहीं था, लिस्टेड न होने के कारण एचएयू का कोई वकील हाईकोर्ट में नहीं जा सका। एचएयू प्रशासन का कहना था कि इस मामले में रिस्पोंडेंट नंबर 2 रजिस्ट्रार है, पूरी बात वो ही बताएंगे। प्रशासन ने यह अवश्य कहा था कि एचएयू ने इस मामले में एप्लीकेशन फाइल कर दी है।

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