नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: सांसद दीपेंद्र हुड्डा की हरियाणा मांगे हिसाब पदयात्रा के दौरान बावल में टिकट के दावेदार कांग्रेसी नेताओं की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। इन नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों की भीड़ दिखाने के लिए अलग-अलग स्वागत द्वार बनाकर शक्ति प्रदर्शन करने का प्रयास किया, लेकिन भीड़ जुटाने के मामले में नए चेहरे पुराने नेताओं को पीछे छोड़ गए। हलके से कांग्रेस की टिकट को लेकर दीपेंद्र ने न तो अपने पत्ते खोले और न ही किसी एक नेता को खास तव्वजो दी। इस हलके में टिकट का फैसला हुड्डा बनाम सैलजा के प्रभाव पर निर्भर कर सकता है।

बावल हलके पर कांग्रेस के दिग्गजों की नजर

लोकसभा चुनावों के बाद प्रदेश में कांग्रेस की पांच सीटें आने के बाद कई दिग्गजों की नजरें बावल हलके से कांग्रेस की टिकट पर भाग्य आजमाने पर है। पिछला विधानसभा चुनाव लड़कर भाजपा प्रत्याशी डॉ. बनवारी लाल को टक्कर देने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. एमएल रंगा को लोकसभा चुनावों से पहले तक टिकट का मजबूत दावेदार माना जा रहा था। लोकसभा चुनावों के दौरान हुड्डा के जरिए जसवंत सिंह की कांग्रेस में एंट्री ने रंगा की टिकट के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी। रंगा को जनाधार के मामले में जसवंत से इक्कीस माना जाता है। इसी बीच पूर्व मंत्री शकुंतला भगवाड़िया अपनी बेटी नीलम को कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतारने के लिए पूरी तैयारी कर चुकी हैं। अगर टिकट के समय कुमारी सैलजा प्रभावी रही तो नीलम की टिकट का रास्ता आसान हो सकता है।

रमेश ठेकेदार ने चलाया हुआ है जनसंपर्क अभियान

भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमे से रमेश ठेकेदार ने बावल हलके में काफी समय से जनसंपर्क अभियान चलाया हुआ है। रमेश ठेकेदार रामबिलास पासवान की लोजपा के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं। हुड्डा कैंप से इशारा मिलने के बाद टिकट के प्रति निश्चित होकर वह अपना जनाधार मजबूत बनाने में लगे हुए हैं। दीपेंद्र के बावल आगमन पर टिकट के दावेदारों ने एकजुट होकर दीपेंद्र का स्वागत करने की बजाय अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग वाली तर्ज पर समर्थकों का संख्या बल अलग दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

नए चेहरों की बावल में एंट्री से पुराने चिंतित

बावल हलके में नए चेहरे के रूप में मुकेश जूली व दो अन्य नए चेहरों की एंट्री पुराने कांग्रेसी नेताओं की टिकट पर संकट के बादल के समान मानी जा रही है। राजस्थान कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष टीकराम जूली के भाई मुकेश जूली ने कुछ समय पहले ही इस हलके में एक्टिव होकर टिकट के पुराने दावेदारों की धड़कन बढ़ा दी हैं। टीकाराम जूली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होने के नाते पार्टी हाईकमान पर भी पूरा प्रभाव रखते हैं। विधानसभा चुनावों के दौरान वह भाई को टिकट दिलाने के लिए पूरी ताकत लगा सकते हैं।

पिता-पुत्र के लिए निर्णय लेना होगा मुश्किल

इस हलके में टिकट के दावेदारों में किसी को भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उम्मीद है, तो कोई दीपेंद्र से आस लगाए बैठा है। अगर टिकट की कमान इनके हाथ में रही, तो भी सभी को खुश व संतुष्ट करना आसान नहीं होगा। दीपेंद्र ने टिकट के दावेदारों को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि पार्टी हाईकमान की ओर से पार्टी के नियमानुसार ही टिकट का फैसला होगा। टिकट से वंचित कुछ पुराने चेहरे ऐन मौके पर दूसरे दलों का रुख भी कर सकते हैं। जनाधार वाले नेताओं को कैच करने के लिए इनेलो, जेजेपी और आप इंतजार में हैं।