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सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि अग्निपथ योजना पूरी तरह से बंद कर दोबारा पक्की भर्ती शुरु कर देनी चाहिए। अग्निपथ योजना के किसी भी नए प्रारूप को देश स्वीकार नहीं करेगा। संसद में विपक्ष मजबूती के साथ इस योजना के खिलाफ आवाज उठाएगा।

Haryana: सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से अग्निपथ योजना पूरी तरह वापस लेकर सेना में रेगुलर भर्ती शुरू करने की मांग करते हुए कहा कि अग्निपथ योजना जैसा घातक सुझाव किसके कहने पर लागू किया गया। क्योंकि न तो देश की फौज की तरफ से ये मांग आई, न देश के नौजवान ने इसकी मांग की और न ही किसी राजनीतिक दल ने ऐसी मांग की। देश की फौज और देश की सुरक्षा कभी राजनीति का विषय नहीं हो सकता। ये देश जय जवान, जय किसान, जय संविधान का है। भाजपा सरकार इसे जय धनवान का देश बनाना चाहती है, ऐसा नहीं होने देंगे। आगामी संसद सत्र में संपूर्ण विपक्ष मजबूती से लड़ाई लड़ेगा और अग्निपथ योजना को खत्म कराकर ही दम लेगा। अग्निपथ योजना के किसी भी नए प्रारूप को देश स्वीकार नहीं करेगा।

अग्निवीरों की पर्याप्त नहीं ट्रेनिंग

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि फौज के आंतरिक सर्वे में सामने आया है कि फौज को कई सारी खामियों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए अब अग्निपथ योजना के आधे-अधूरे रोल बैक पर भी मंथन हो रहा है। इसमें अग्निवीर का कार्यकाल 4 साल से बढ़ाकर 7 साल करना, 25 प्रतिशत की बजाय 60 से 70 प्रतिशत को फौज में लेना। आंतरिक सर्वे रिपोर्ट से पता चला कि अग्निवीरों की ट्रेनिंग भी पर्याप्त नहीं है। इसलिये ट्रेनिंग पीरियड 24 हफ्ते से बढ़ाकर 42 हफ्ते तक करने की बात कही जा रही है। फौज की आंतरिक रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि भारत की दीर्घकालिक रणनीतिक तैयारियों के संबंध में रक्षा उपकरणों की देख-रेख करने के लिए फौज को सीनियर टेक्निकल कर्मचारियों की जरुरत होती है, इसमें भी काफी कमी आई है और आगे काफी बड़ी कमी आ सकती है।

देश के प्रति समर्पित भावना में आई कमी

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सेना में एक दूसरे का सहयोग करने और एक दूसरे पर जान न्यौछावर करने का जो जज्बा होता था, उसमें भी कमी आयी है। आपस में प्रतिस्पर्धा का माहौल बन गया है जो किसी भी फौज के लिये अच्छा नहीं है। अग्निपथ योजना से फौज के मनोबल और आपसी तालमेल में जो गिरावट आयी है वो इस बात का सबूत है कि ये योजना दूरदर्शी सोच से नहीं लाई गई। दीपेन्द्र हुड्डा ने आधे-अधूरे रोल बैक के किसी भी सुझाव को खारिज किया और सरकार से देश की जनभावना को स्वीकार कर सेना में पहले की तरह 100 प्रतिशत पक्की भर्ती दोबारा शुरु करने की मांग की।

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