Faridabad News: फरीदाबाद में 7 साल की मासूम बच्ची की मृत्यु के बाद बेबस पिता बेटी के शव को गोद में लेकर अस्पताल के गेट पर कई देर तक खड़ा रहा। लेकिन स्टाफ के किसी भी सदस्य ने उसे यह नहीं बताया कि अस्पताल में फ्री एंबुलेंस सेवा भी उपलब्ध है। जांच में यह भी सामने आया है कि कोई ऑटो वाला भी बच्ची के शव को ले जाने के लिए तैयार नहीं था।
डॉक्टर की लापरवाही से बिगड़ी तबीयत
जानकारी के मुताबिक, पीड़ित पंकज मूल रूप से झारखंड के गोंडा जिले से है। वह करीब 1 साल से फरीदाबाद के पटेल चौक में किराए के मकान में रहते हैं। बुधवार 24 जुलाई को सुबह करीब 3 बजे उसकी 7 साल की बेटी शबनम को उल्टी दस्त की शिकायत हुई। जिसके बाद पंकज पास के ही डॉक्टर के पास बेटी को इलाज के लिए लेकर गए थे। डॉक्टर ने शबनम को इंजेक्शन और दवाई दी। जिसके बाद उसकी तबीयत और भी ज्यादा बिगड़ गई। शाम तक उनकी बेटी की हालत और भी खराब होती चली गई।
फ्री एंबुलेंस सेवा के बारे में नहीं बताया गया
पंकज ने आरोप लगाया है कि बंगाली डॉक्टर ने उनकी बेटी को खाली पेट ही इंजेक्शन लगाया था। जिसके बाद उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी। इसके बाद वह शबनम को शाम को करीब 7:30 बजे फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल लेकर गए थे। जिसके बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद स्टाफ ने उन्हें यह तक नहीं बताया कि शव ले जाने के लिए अस्पताल में घर तक फ्री में एंबुलेंस मुहैया कराई जाती है। ऑटो चालक भी उनकी बेटी के शव को घर तक ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसके बाद पीड़ित पंकज ने अपने एक परिचित ऑटो चालक को फोन किया तब वह शव को लेजा सके।
स्टाफ के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई
अस्पताल के पीएमओ का पदभार संभाल रहे डॉक्टर विकास गोयल ने इस मामले में कहा है कि अस्पताल के स्टाफ की जिम्मेदारी है कि वह मृतक बच्ची के परिजनों को फ्री शव वाहन (एम्बुलेंस) मिलने की जानकारी के बारे में बताएं। उन्होंने कहा है कि वह अस्पताल स्टाफ के खिलाफ इसे लेकर उचित कार्रवाई करेंगे।