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हरियाणा विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है और ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी अकेले चुनाव नहीं लड़ना चाहती। सभी पार्टियां गठबंधन में चुनाव लड़कर सरकार बनाने का प्रयास कर रही हैं। अब देखना यह होगा कि किस पार्टी के सिर जीत का ताज सजेगा।

मनोज भल्ला, रोहतक: नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से 48 घंटे पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट इस बात का स्पष्ट संकेत है कि इस बार हरियाणा में कोई भी राजनीतिक दल अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ना नहीं चाहता। भाजपा की तरह कांग्रेस ने भी कई बार ऐलान किया था कि वह अकेले सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन दोनों बड़ी पार्टियों ने गठबंधन कर लिया है। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने किसी के साथ गठबंधन नहीं किया था लेकिन त्रिशंकु विधानसभा का जनादेश आने से विचित्र स्थिति पैदा हो गई थी। उस समय किसी भी पार्टी को पूर्ण जनादेश नहीं मिला था।

गठबंधन के साथ मैदान में उतरेंगी पार्टियां

5 अक्टूबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव में ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि हरियाणा की सभी राजनीतिक पार्टियां गठबंधन के बाद चुनावी मैदान में उतरेंगी। चुनावी रणक्षेत्र में उतरे योद्धाओं के रथ पर एक साथ दो ध्वज पताका लहराने जा रही हैं। हैट्रिक सरकार बनाने का दावा करने वाली भाजपा ने हरियाणा लोकहित पार्टी के साथ गठबंधन किया है तो वहीं कांग्रेस इस बार आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही इनेलो ने बसपा और जजपा ने आजाद समाज पार्टी से गठबंधन किया है। गठबंधन की मजबूरी और सीट शेयरिंग के कारण विधानसभा की 90 सीटों पर कोई भी पार्टी अकेले चुनाव मैदान में नहीं है।

बसपा और इनेलो का खेल

अपनी पार्टी के इकलौते विधायक अभय चौटाला बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इनेलो 53 और बसपा 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों का वोट प्रतिशत बेहद खराब रहा था। जहां अभय चौटाला को छोड़कर इनेलो के सभी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था, वहीं बसपा के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। इस बार दोनों पाटियां दलित कार्ड से सत्ता की चाबी खोलने के गेम प्लान को लेकर मैदान में उतरी हैं।

क्या है जजपा की गेम प्लानिंग

भाजपा सरकार में गठबंधन के कारण बदनामी झेल रहे दुष्यंत चौटाला ने चंद्रशेखर आजाद के साथ आजाद समाज पार्टी से गठबंधन किया है। दोनों नेता अपनी पार्टियों के इकलौते स्टार प्रचारक हैं। जजपा 70 और आजाद समाज पार्टी 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पिछले चुनाव में दुष्यंत चौटाला 10 सीटें जीतकर किंग मेकर बन गए थे। किसानों और जाटों की नाराजगी को देखते हुए उन्होंने इस बार दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की योजना बनाई है।

भाजपा को कांडा बंधुओं का सहारा

सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही भाजपा ने गोपाल कांडा के साथ हरियाणा लोक हित पार्टी से गठबंधन किया है। भाजपा 87 और गोपाल कांडा की पार्टी तीन सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं। भाजपा को उम्मीद है कि गोपाल कांडा के माध्यम से सिरसा की सूखी जमीन पर कमल खिलाया जा सकता है। 2019 में भाजपा को केवल 41 सीटें मिली थी जिसके कारण ना चाहते हुए भी उसे दुष्यंत चौटाला से गठबंधन करना पड़ा था।

कांग्रेस और आप की केमिस्ट्री

कांग्रेस आलाकमान के दखल से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी हरियाणा में मिलकर चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस 86 और आम आदमी पार्टी चार सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 31 सीटें जीती थी। आम आदमी पार्टी ने 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी सीटों पर जमानत जब्त करवा ली थी। पार्टी को उम्मीद है कि राहुल गांधी का साथ मिलने से हरियाणा में इस बार कुछ सीटों पर खाता खुल सकता है।

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