नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: एनएचएआई को एक गाड़ी के कई-कई फास्टैग बनवाकर करोड़ों रुपए का चूना लगा चुके वाहन मालिकों पर अब शिकंजा कस गया है। नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रोग्राम के तहत अब टोल से गुजरने वाले वाहनों के लिए एक गाड़ी-एक फास्टैग योजना शुरू कर दी गई है, जिससे अब कई फास्टैग बनवाकर माइनस बैलेंस पर भी टोल से निकलना मुमकिन नहीं होगा। बड़ी संख्या में भारी वाहन चालक टोल टैक्स के रूप में कई फास्टैग का इस्तेमाल करते हुए टोल के रूप में मोटा चूना लगा चुके हैं। टोल बूथों पर अब एक से अधिक फास्टैग यूज करने वाले लोगों का खेल बंद हो गया है। फास्टैग के लिए केवाईसी अनिवार्यता का अंतिम दिन होने के कारण सिस्टम में खराबी से वाहन चालकों को परेशानी का सामना भी करना पड़ा।
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रोग्राम के तहत दी थी फास्टैग की सुविधा
एनएचएआई की ओर से टोल बूथों पर वाहन चालकों की सुविधा के लिए नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रोग्राम के तहत फास्टैग की सुविधा प्रदान की हुई है। फास्टैग लगे वाहनों को टोल टैक्स पर नकद राशि देने के लिए इंतजार करना पड़ता है। फास्टैग सिस्टम से टोल की राशि संबंधित वाहन मालिक के बैंक खाते से कट जाती है। फास्टैग यूज करने वाले वाहन मालिकों को उसमें रिचार्ज सिस्टम से राशि रखनी होती है। फास्टैग रिचार्ज नहीं होने पर भी टोल बूम बैरियर पर वाहन निकल जाते हैं। बाद में फास्टैग रिजार्च करते ही माइनस में गया हुआ बैलेंस सेटल हो जाता है। समय पर फास्टैग रिचार्ज नहीं होने पर एक सीमा तक माइनस बैलेंस में भी फास्टैग कार्य कर जाता है, ताकि रिचार्ज के बाद वह राशि एडजेस्ट हो सके।
कमर्शियल वाहन चालक लगा चुके हैं चूना
नेशनल हाइवे पर खिलाड़ी बन चुके शातिर दिमाग वाले कमर्शियल व्हीकल चालक टोल बचाने के लिए एक से अधिक फास्टैग का इस्तेमाल करने लगे थे। कई वाहन चालकों ने दस से बीस तक फास्टैग बनवाए हुए थे। एक फास्टैग के माइनस में जाने के बाद दूसरे फास्टैग का इस्तेमाल किया जाता रहा। उसके माइनस में जाने के बाद तीसरे व बाद में अन्य फास्टैग को इस्तेमाल किए जाने का सिलसिला चल रहा था।
बहुत कम बैलेंस में भी निकल जाती थी गाड़ियां
अभी तक फास्टैग में लो बैलेंस होने के बावजूद गाड़ियां टोल क्रॉस कर जाती थी। इसके बाद फास्टैग रिचार्ज कराते ही लो बैलेंस की राशि उसमें समायोजित हो जाती थी। इसी चीज का फायदा वाहन चालक बखूबी उठाते रहे। कई भारी वाहन चालकों ने थोक के भाव फास्टैग बनवाए हुए थे। भारी वाहनों को टोल टैक्स के रूप में शुल्क भी ज्यादा देना होता है। माइनस में आने के बाद चालक फास्टैग को रद्दी की टोकरी में डाल देते थे। इसके बाद दूसरा फास्टैग इस्तेमाल करने लग जाते थे।
एक-एक वाहन पर लाख रुपए तक बकाया
टोल टैक्स कर्मियों से मिली जनकारी के अनुसार एक ही वाहन के लिए बनवाए गए कई-कई फास्टैग माइनस में चले जाने के कारण इन वाहनों पर एक से डेढ़ लाख रुपए तक की राशि बकाया है। कई चालक वाहन मालिकों से टोल टैक्स का पैसा वसूलने के बावजूद दूसरे फास्टैग से पैसा बचाने में कामयाब होते रहे हैं। अब एनईटीसी ने एक से अधिक फास्टैग पर पूरी तरह से रोक लगा दी है, जिससे टोल पर होने वाली फर्जीवाड़े पर रोक लग सकेगी।
केवाईसी नहीं होने से हुई चालकों को परेशानी
फास्टैग को एक वाहन-एक फास्टैग के दायरे में लाने के बाद केवाईसी कराना आवश्यक कर दिया गया है। इसका मंगलवार को अंतिम दिन होने के कारण दोपहर तक सिस्टम में तकनीकी खराबी से फास्टैग रिचार्ज नहीं हो पाए। इससे बड़ी संख्या में वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। पहले गाडि़यों के पंजीकरण नंबर, चेचिस नंबर व इंजन इंजन नंबर के आधार पर अलग-अलग फास्टैग बनवाए गए थे, जिनमें से अब एक का ही विकल्प खुला रहेगा।
नए सिस्टम से नहीं होगी गड़बड़ी
टोल प्लाजा प्रबंधक होशियार सिंह ने बताया कि वाहनों के कई-कई फास्टैग बनाकर लगातार नुकसान पहुंचाया जा रहा था। बैंकों की तकनीकी खामियों के कारण माइनस में भी फास्टैग कार्य करते रहे, जिस कारण एनएचएआई को नुकसान उठाना पड़ रहा था। नए सिस्टम से गड़बड़ी की संभावना समाप्त हो जाएगी।