चंडीगढ़: हरियाणा सरकार द्वारा कन्या भ्रूण हत्या से निपटने और गर्भधारण-पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम के प्रावधानों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निरंतर कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। 2014 से अब तक राज्य ने पीसीपीएनडीटी (PCPNDT) अधिनियम के तहत कुल 1217 एफआईआर दर्ज की, जिनमें अंतरराज्यीय रेड के माध्यम से 397 एफआईआर शामिल हैं। इन कार्रवाइयों के कारण 4,000 से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं, जिसमें लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या में शामिल डॉक्टरों, झोलाछाप डॉक्टरों और दलालों द्वारा की जाने वाली अवैध गतिविधियों को लक्षित किया है।

लिंगानुपात में लगातार हो रहा सुधार

हरियाणा ने जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार के प्रति वर्ष दो अंकों की वृद्धि के लक्ष्य को सफलतापूर्वक पार किया है। वर्ष 2014 में लिंगानुपात 871 था, जिसमें राज्य ने 39 अंकों का उल्लेखनीय सुधार किया, जिससे वर्ष 2024 में जन्म के समय लिंगानुपात 910 हो गया है। यह उपलब्धि बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ पहल के तहत हरियाणा के निरंतर प्रयासों की प्रभावशीलता को समर्पित है। मातृ स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए हरियाणा की प्रतिबद्धता ने भी लिंग अनुपात में सुधार लाने में राज्य की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संस्थागत प्रसव 2005-06 में 35.7 प्रतिशत से बढ़कर 94.9 प्रतिशत हो गया है और प्रारंभिक एएनसी (ANC) पंजीकरण 51.4 प्रतिशत से बढ़कर 85.2 प्रतिशत हो गया है।

लिंगानुपात सुधार के लिए शुरू की कई पहल

राज्य ने लिंगानुपात में सुधार के लिए कई पहलों को लागू किया, जिसमें बालिका के जन्म पर 21,000 रुपए का एकमुश्त भुगतान शामिल है, जिससे 5,23,056 से अधिक परिवारों को लाभ मिला है। 2018 में शुरू किए गए पोषण अभियान ने किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों में पोषण में सुधार व एनीमिया को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया, जो आंगनवाड़ी केंद्रों (Anganwadi Centres) पर सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से 2,24,136 प्रतिभागियों तक पहुंचा है। मेवात में 14 से 18 वर्ष की आयु की लड़कियों के लिए लक्षित किशोर बालिका योजना 2024-25 में 13,439 लाभार्थियों तक पहुंच चुकी है।