Haryana Assembly Election: कहते हैं किस्मत बदलते देर नहीं लगती, ऐसा ही वर्ष 2005 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में रादौर के छोटे से गांव में जन्में ईश्वर पलाका के साथ हुआ। विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी थी। प्रदेश के सभी राजनीतिक दल अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों को अंतिम रूप देने में लगे थे। जिनमें इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला ने रादौर के छोटे से गांव पलाका के अपने साधारण कार्यकर्ता ईश्वर पलाका को टिकट देने का ऐलान कर दिया।
टिकट मिलने की सूचना लगी मजाक
ईश्वर पलाका इनेलो में साधारण कार्यकर्ता थे। वह मेहनत आदि करके अपने परिवार का लालन पालन कर रहे थे। टिकट मिलने का उसे दूर-दूर तक अंदाजा भी नहीं था। विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद एक दिन वह दोपहर के वक्त घर से घरेलू सामान लेने के लिए रादौर के लिए निकले थे। रास्ते में जब वह गांव चमरौड़ी के पास पहुंचे तो उन्हें वहां खड़े कुछ लोगों ने रोक लिया और उसे बधाई देना शुरू कर दी। ईश्वर पलाका ने लोगों से बधाई दिए जाने का कारण पूछा तो उन्होने उसे बताया कि इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला ने उसे रादौर विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए टिकट देकर अपना आर्शीवाद दिया है।
सैकड़ों कार्यकर्ता देने लगे बधाई
यह सुनकर पहले तो उसे लोगों द्वारा कही बात को मजाक समझा और रादौर अपने घरेलू कार्यों को निपटाने चला गया। रादौर पहुंचते ही उसे लोगों ने घेर लिया और बधाई दिए जाने के लिए भीड़ जमा हो गई। लेकिन उसे तब भी विश्वास नहीं हुआ और वह रादौर में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के घर चला गया। वहां पर पहले से ही पार्टी के सैंकड़ो कार्यकर्ता मौजूद थे। उन्होंने उसके पहुंचते ही बधाई देनी शुरू कर दी और उसके गले को फूल मालाओं से लाद दिया। तब जाकर ईश्वर सिंह पलाका को विश्वास हुआ।
पैसे एकत्र कर चुनाव प्रचार पर किए खर्च
पूर्व विधायक एवं वर्तमान मे भाजपा के वरिष्ठ नेता ईश्वर सिंह पलाका बताते हैं कि ओम प्रकाश चौटाला द्वारा उन्हें टिकट तो दे दिया गया। मगर उनकी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि वह अपने परिवार का लालन पालन भी मेहनत मजदूरी करके करते थे। जिसे देखते हुए कार्यकर्ताओं ने स्वयं पैसे एकत्र किए और उन्हें चुनाव लड़वाया। उस समय ओम प्रकाश चौटाला के आर्शीवाद से वह न केवल 26 हजार 933 मत प्राप्त कर चुनाव जीते, बल्कि उन्होंने कांग्रेस के धुरंधर नेता लहरी सिंह को हराया। उनका कहना है कि वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिलना और चुनाव जीतना आज भी एक सुखद स्वप्न सा लगता है।
जब विधायक बने घर की थी कच्ची छत
पूर्व विधायक ईश्वर पलाका बताते हैं कि वर्ष 2005 में जब वह विधायक बने उस समय उनके मकान पर पक्की छत भी नहीं थी। इनेलो में वह मात्र साधारण से कार्यकर्ता थे। वह बताते हैं कि गांव के नंबरदार बीर सिंह ने उन्हें वर्ष 1991 में इनेलो पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई थी। इस दौरान वह नंबरदार की मोटरसाइकिल पर चालक के पद पर नौकरी करके अपने परिवार का गुजारा चलाते थे।
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