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हरियाणा विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है। सियासी दलों के नेता टिकट को लेकर एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। भाजपा एक तरफ जहां सत्ता बरकरार रखने के लिए बेकरार है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए जोर लगा रही है।

रवींद्र राठी, बहादुरगढ़: हरियाणा में चुनावी बिगुल बजते ही राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है। सियासी दलों के नेता टिकट को लेकर एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। भाजपा एक तरफ जहां सत्ता बरकरार रखने के लिए बेकरार है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए जोर लगा रही है। प्रदेश के दोनों प्रमुख सियासी दल प्रत्याशियों का चयन करने में फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक दावेदारों के नामों पर मंथन चल रहा है। बीते दिनों की गतिविधियों से साफ है कि बीजेपी इतना जल्दी अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं करेगी।

सियासी दलों की बढ़ रही गतिविधियां

विधानसभा चुनावों का ऐलान होने के बाद से ही सियासी दलों की गतिविधियां भी चरम की तरफ बढ़ रही हैं। आखिरी फैसला तो मतदाता ही करेंगे, लेकिन उससे पहले कांग्रेस-भाजपा खेमे में टिकटों को लेकर पक रही खिचड़ी पर सभी की नजर है। रोहतक, गुरुग्राम और चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक मंथन चल रहा है। हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से कांग्रेस काफी उत्साहित है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अजय माकन करीब ढाई हजार आवेदनों पर मंथन में जुटे हैं।

कांग्रेस में सामने आ रही गुटबाजी

कांग्रेस में पार्टी के नेताओं को बुलाकर उनसे चर्चा की जा रही है, क्योंकि नेताओं की आपसी गुटबाजी नजर आ रही है। जबकि भाजपा कांग्रेस की गुटबाजी का पूरा फायदा उठाना चाह रही है। प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली की अध्यक्षता में दो दिनों तक गुरुग्राम में दावेदारों को लेकर गहन विमर्श किया गया। चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, मुख्यमंत्री नायब सैनी और चुनाव सह प्रभारी बिप्लब कुमार देब ने मजबूत उम्मीदवारों के नामों पर गहन मंत्रणा की।

अहीरवाल का किला बचाने की चुनौती

भाजपा के समक्ष जहां जीटी रोड और अहीरवाल के किले को बचाने की चुनौती है। वहीं कांग्रेस को भी पुराने रोहतक के अपने गढ़ को बचाए रखने के लिए अतिरिक्त जोर लगाना होगा। क्योंकि प्रदेश के दिग्गजों ने अपने चहेतों को टिकट दिलाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद की रणनीति अपना ली है। आश्चर्यजनक निर्णय लेने में माहिर बीजेपी अपने पत्ते केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा के बाद ही खोलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक वीरवार को नई दिल्ली में होगी।

उम्मीदवारों का चयन बना चुनौती

भाजपा 45 सीटों का आंकड़ा छूने के लिए पूर्व सांसदों समेत सभी दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारने का मन बना रही है। जिन नेताओं का सिक्का बुलंद है, उनमें प्रतिस्पर्धा चल रही है। भाजपा की चयन समिति में अधिकांश ऐसे सदस्यों को जिम्मेदारी मिली है, जो खुद या फिर अपने करीबी के लिए टिकट की जुगत लगा रहे है। ऐसे हालातों में कई दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।

कांग्रेस में टिकटार्थियों की लिस्ट लंबी

कांग्रेस की टिकटों को लेकर भी सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलों का बाजार गर्म है। दावेदारों की तैयार लंबी फेहरिस्त ने टिकट का आखिरी फैसला लेने वालों की नींद जरुर उड़ा रखी है। टिकट बंटवारे को लेकर दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। राहुल गांधी के सर्वे और दिल्ली के मंथन से भी नया सरप्राइज सामने आ सकता है। ऐसे में लिस्ट फाइनल करने वालों का काम भी हल्का हो गया है। इस बार कई जिताऊ नए चेहरों को चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है।

सर्वे टीमों का खुफिया तंत्र सक्रिय

विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के बहाने कांग्रेस किसी न किसी तरह का संदेश देने की कोशिश में है। टिकट किसके पाले में जाती है, यह अगले हफ़्ते पता लगेगा। सर्वे टीमों के साथ ही ख़ुफ़िया तंत्र भी सक्रिय है। यह पता लगाया जा रहा है कि टिकट फाइनल होने के बाद चयनित प्रत्याशी का चुनावी गणित क्या रहेगा? असंतुष्टों के असर का आंकलन अभी से लगाया जा रहा है। इन सब के बीच देखना होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।

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