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हरियाणा विधानसभा सत्र में पहले दिन की कार्रवाई में कई फैसले लिए गए हैं। इस दौरान सरकार ने छह विधेयक पास कराने की भी बात कही है। इसको लेकर विधानसभा में हंगामा हो सकता है।

Haryana Assembly Session: हरियाणा में विधानसभा सत्र के पहले दिन की कार्रवाई शुरु हो चुकी है। इस दौरान सबसे पहले गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय का अभिभाषण हुआ। इस दौरान उन्होंने CET पास अभ्यर्थियों को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने ऐलान किया है कि अगर सीईटी पास अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं मिली है, तो सरकार उन्हें 2 साल की अवधि तक 9 हजार रुपए प्रति माह देगी।

एक तरफ विपक्ष किसान और युवाओं को लेकर सरकार को घेरने की बात कह चुकी है। तो दूसरी तरफ सरकार छह विधेयक पास कराने की बात कह रही है। आइए जानते हैं कि हरियाणा सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयकों के बारे में जिन्हें सरकार पास करा सकती है। 


हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) विधेयक 

हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) विधेयक के तहत सरकार हरियाणा में पांच साल से संविदा पर काम कर रहे ऐसे कर्मचारियों की सेवाएं 58 साल की उम्र तक सुनिश्चित करने के लिए विधेयक ला रही है जिनकी तनख्वाह 50 हजार रुपए तक है। इसमें संविदा पर काम कर रहे (कॉन्ट्रेक्ट बेसिस) असिस्टेंट प्रोफेसर, पॉलीटेक्निक संस्थानों में काम कर रहे गेस्ट लेक्चरर, एक्सटेंशन लेक्चरर, वास्तुकला सहायक (Architectural Assistant), पशु चिकित्सक और जेई-एसडीओ शामिल होंगे। इससे ज्यादा सैलेरी वाले कर्मचारियों की सेवाओं के लिए उम्र सुनिश्चित करने के लिए सरकार दूसरा विधेयक ला सकती है।

हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधक) संशोधन विधेयक

साल 2014 में हरियाणा सरकार ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा (मैनेजमेंट) अधिनियम बनाया था, जिसके तहत सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति का गठन हुआ था। इसके लिए चेयरमैन की नियुक्ति की जाती है जिसके लिए योग्यताओं पर खरा उतरना बेहद जरूरी है। इस पद के लिए सेवानिवृत्त उन न्यायाधीशों को चुना जाता है, जिन्हें न्यायाधीश के रूप में कम से कम 10 सालों का अनुभव हो। हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण (quasi-judicial authority) है और इसके निर्णय अंतिम होते हैं।

इस आयोग के तहत गुरुद्वारा संपत्ति, कोष, गुरुद्वारा कमेटी तथा किसी भी तरह के विवादों का निपटारा किया जाता है। इसलिए इस पद के लिए न्यायाधीश का 10 सालों का अनुभव होना जरूरी है। पहले न्यायाधीश की उम्र 65 वर्ष होनी अनिवार्य थी, बाद में इस अनिवार्यता को हरियाणा अधिनियम 22/2014 की धारा 46 में संशोधन कर हटा दिया गया। अब हरियाणा सरकार इसमें नया संशोधन करा सकती है। 

हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास व विनियमन ( संशोधन) विधेयक

हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास व विनियमन ( संशोधन) विधेयक 2023, को  25 अगस्त 2023 को पेश किया गया था। इसे हरियाणा शहरी क्षेत्रों का विकास और विनियमन अधिनियम, 1975 के तहत संशोधित किया गया। इस अधिनियम के तहत लाइसेंस प्राप्त कॉलोनी में एक आवासीय मंजिल को विभिन्न संपत्ति लेनदेन के तहत स्वतंत्र आवासीय इकाई के रूप में रजिस्टर करने की अनुमति देता है।

इसके तहत अपनी स्वतंत्र आवासीय इकाई यानी इंडिपेंडेंट रेसिडेंशियल यूनिट को ट्रांसफर कराया जा सकता है, बेचा जा सकता है, उपहार में दिया जा सकता है और एक्सचेंज करने के साथ ही लीज पर भी दे सकता है। हरियाणा सरकार इस अधिनियम में भी कुछ बदलाव कर सकती है। 

हरियाणा नगर निगम (संशोधन) के विधेयक

हरियाणा सरकार नगर निगम (संशोधन) के दो विधेयक पास कराने की बात कह रही है। इसे 25 अगस्त 2023 को संशोधित किया गया था और 1994 में इसे पारित किया गया था। इस अधिनियम के तहत किसी नगर निगम में सीटों की संख्या नवीनतम जनगणना के आंकड़ों के आधार पर तय की जाती है। इसके अलावा पिछड़े वर्गों के लिए सीटों का आरक्षण, आरक्षित सीटों की समीक्षा, मेयर का पद इत्यादि भी इसी विधेयक के अंतर्गत आता है। 

हरियाणा ग्राम शामलात भूमि ( विनियमन ) संशोधन विधेयक

हरियाणा ग्राम शामलात भूमि विधेयक के तहत शामलात जमीन पर 20 साल से भी अधिक समय से कब्जाधारी लोगों को जमीन का मालिकाना हक दिया जाता है। इसमें 500 वर्ग गज तक के मकानों को ही वैध माना जाएगा। हालांकि हरियाणा सरकार इसमें संशोधन के लिए विधानसभा में इस बिल को पेश कर सकती है। 

हरियाणा पंचायती राज ( संशोधन) विधेयक

हरियाणा पंचायती राज अधिनियम के तहत पंचायत से जुड़े मामलों को देखा जाता है। इस अधिनियम को 1992 में पारित किया गया था। यह अधिनियम भारत में पंचायती राज व्यवस्था लागू करने की दिशा में काफी बड़ा कदम था। इस संशोधन अधिनियम द्वारा पंचायतों के गठन को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई थी और 2020 में इसमें किए गए संशोधन के बाद पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 फीसदी का प्रावधान बनाया गया था।

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