Haryana Govt and Farmers Meeting: हरियाणा सरकार ने किसानों की दिल्ली कूच की संभावना को देखते हुए उनसे बातचीत करने का फैसला लिया गया था। रविवार दोपहर को चंडीगढ़ में किसानों और सरकार के बीच बैठक समाप्त हो गई। इस बैठक में प्रधान सचिव राजेश कलर भी वहां पहुंचे थे। यहां पर किसानों की कई मांगों को लेकर चर्चा की। साथ ही, इसमें किसान संगठनों के कई प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
इस बैठक में एसकेएम के नेतृत्व में किसान संगठन भी शामिल और अपनी मांगों को सरकार के सामने पेश किया। बताया जा रहा है कि बैठक में कई मुद्दों पर बातचीत की गई। किसानों की मांग है कि एमएसपी कानून बनाए जाए और उन्हें दिल्ली कूच के लिए जाने दें। इस पर अभी सरकार का फैसला लिया जा चुका है।
किसानों ने 15 अगस्त तक का दिया समय
हरियाणा सरकार और हरियाणा के संयुक्त किसान मोर्चा (SkM) के बीच कुछ मांगों को लेकर सहमति बन गई है। इसके साथ ही अन्य मांगों में सुधार को लेकर आश्वासन दिया गया है। किसानों ने राज्य सरकार को मांगें पूरी करने के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया है। कहा गया है की इस अवधि में मांगें पूरी नहीं होती हैं तो किसान अपनी अगली रणनीति तैयार करेंगे। किसानों की मांगों पर अंतिम फैसला सीएम नायब सैनी का ही होगा। कहा जा रहा है कि सीएम भी किसानों के साथ बैठक कर कर सकते हैं।
सरकार ले सकती है बड़ा फैसला
इससे पहले भी सरकार की और से 14 जुलाई को बैठक आयोजित की गई थी, जिनमें किसान संगठनों ने कई मुद्दे लेकर अपनी मांगे रखी थी। लेकिन, इसके बाद भी सकारात्मक रिजल्ट सामने नहीं आया। हाल में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने शंभू बॉर्डर को खोलने का आदेश दिया था, जिसके बाद से किसानों ने दिल्ली जाने की तैयारी शुरू कर रखी है। इसके इतर, हरियाणा सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंची है, लेकिन साथ ही किसान नेताओं को भी बातचीत के लिए चंडीगढ़ बुला लिया गया था।
चुनाव में पड़ सकता है आंदोलन का प्रभाव
दरअसल, पंजाब के किसान संगठन शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठेकर दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, हरियाणा के किसान संगठनों की भी कई मांगें लंबित हैं और वह भी आंदोलन करते आए हैं। कहा यह जा रहा है की अगर हरियाणा के किसान संगठनों भी इस आंदोलन का हिस्सा बने तो हरियाणा सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि कुछ ही महीनों बाद राज्य में विधानसभा होने वाले है और बीजेपी सरकार इसका नतीजा लोकसभा चुनाव में देख चुकी है।
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क्या है किसानों की मांग
- स्वामीनाथन की सिफारिश अनुसार सी 2 के साथ 50 प्रतिशत लागत का डेढ़ गुना गारंटिड दाम देने का कानून बनाया जाए।
-राज्य में फसल खरीद में खरीद की लिमिट, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पोर्टल आदि की शर्त को हटाया जाए।
-किसानों को फसलों का भुगतान तय सीमा में हो नहीं तो ब्याज सहित भुगतान हो।
-प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बाद होने की स्थिति में मुआवजा देने की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए। इसके अलावा भी कई मांगें शामिल हैं।