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हरियाणा में 1990 बैच के आईएएस अफसरों के बीच चल रहा वरिष्ठता क्रम का विवाद राज्य स्तर पर नहीं सुलझा, जिसके बाद पूरा मामला केंद्र के पास भेजा गया। अब केंद्र के पाले में गेंद है, जिसके कारण अधिकारियों को इंतजार करना पड़ेगा।

योगेंद्र शर्मा, चंडीगढ़: आखिरकार हरियाणा सरकार के 1990 बैच के आईएएस अफसरों के बीच चल रहा वरिष्ठता क्रम का विवाद राज्य स्तर (मुख्य सचिव हरियाणा) व सरकार के स्तर पर हल होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। अब यह पूरा मामला केंद्र के पास भेज दिया गया है। राज्य में इस विवाद का हल चार माह से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी सर्वमान्य हल नहीं निकल सका। केंद्र में भी इसमें वक्त लग जाने की संभावनाएं अधिक हैं।

3 आईएएस अफसरों का विवाद

बता दें कि राज्य सरकार के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद के पास 1990 बैच के तीन आईएएस अफसरों का विवाद पहुंचा था। उक्त पूरे मामले में मुख्य सचिव ने कई बार सुनवाई भी की और अफसरों से लंबी चर्चा भी की, लेकिन राज्य स्तर पर हल नहीं हो सका। पूरे मामले में मुख्य सचिव की ओर से सुनवाई के बाद सर्वमान्य हल नहीं निकल सका, जिसके कारण इसे केंद्र सरकार को भेज दिया। विवाद और खींचतान के कारण ही मुख्य सचिव के बाद वरिष्ठता क्रम में सबसे वरिष्ठ सुधीर राजपाल कई बार अहम जिम्मेदारी वाले पदों से चूक चुके हैं। उन्हें वित्त आयुक्त राजस्व की जिम्मेदारी भी नहीं मिली। मामले में आईएएस अफसर के बीच खींचतान, आरोप-प्रत्यारोप के बीच सरकार पूरे मामले में फूंक फूंककर कदम उठा रही है।

बैच में कुल 6 अधिकारी

बैच में कुल मिलाकर छह अधिकारी हैं, जिनमें से तीन आईएएस अफसर ने 34 साल बाद इस बारे में लिखित में देकर आग्रह किया कि उनके बैच में आंतरिक वरिष्ठता तय कर दी जाए। इस बैच में सुधीर राजपाल वरिष्ठ आईएएस अधिकारी (एसीएस हेल्थ) हैं, वे हरियाणा में तैनात मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद के बाद वरिष्ठ क्रम में वरिष्ठ और आगे चल रहे हैं। लेकिन उनके कैडर को लेकर आपत्ति व लिखित में दिए जाने के बाद मामला अटक गया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेवारी संभाल रहे सुधीर राजपाल को पूर्व में गृह विभाग का अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाने के आदेश जारी हुए और तबादलों की सूची में नाम भी आया, लेकिन चंद घंटे में ही फैसले को वापस ले लिया गया।

सुधीर राजपाल को नहीं मिली जिम्मेदारी

गृह विभाग से सुधीर राज्यपाल को हटाकर दूसरा विभाग सौंपा गया। इसके बाद उम्मीद थी कि उनको एफसीआर लगा दिया जाएगा लेकिन वो भी नहीं हो सका। अब जब हरियाणा के मुख्य सचिव ने पिछले दिनों हरियाणा गृह विभाग की जिम्मेदारी छोड़ी तो माना जा रहा था कि इस बार गृह विवाह की कमान फिर सुधीर राज्यपाल को दी जाएगी। लेकिन इस बार भी यह कमान वरिष्ठ आईएएस व एसीएस अनुराग रस्तौगी को दी गई है। इसके बाद आईएएस अफसरों के बीच वरिष्ठता सूचि को लेकर विवाद चल रहा है।

अक्टूबर में सेवानिवृत्त हो जाएंगे मुख्य सचिव

हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद 31 अक्टूबर 2024 को सेवानिवृत होने जा रहे हैं। हरियाणा में नई सरकार के गठन और नए मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें बतौर मुख्य सचिव तैनात किया था। हालांकि उस वक्त बतौर मुख्य सचिव कमान संजीव कौशल के हाथ में थी और उनको 31 जुलाई को सेवानिवृत्त होना था। लेकिन अचानक संजीव कौशल को अवकाश पर भेज दिया और टीवीएसएन प्रसाद नए मुख्य सचिव के तौर पर कमान संभालने लगे। मुख्य सचिव हरियाणा टीवीएसएन प्रसाद विधानसभा के चुनाव और नई सरकार के गठन के वक्त ही रिटायर होंगे। इसके बाद में नए मुख्य सचिव की नियुक्ति होनी है। कुल मिलाकर 1990 बैच के वरिष्ठ अफसरों के बीच चल रहे विवाद का मामला केंद्र के पाले में चला गया है। इस पर सभी की नज़रें लगी रहेंगी।

1990 बैच के अफसर की सेवानिवृत्ति दिसंबर में शुरू

1990 बैच के अफसरों की सेवानिवृत्ति 31 दिसंबर 2024 से शुरू हो जाएगी। 1990 बैच आईएएस की सेवानिवृत्ति की बात करें तो 31 दिसंबर 2024 से शुरू होगी। इसमें सुधीर राजपाल की रिटायरमेंट की तारीख 30 नवंबर 2026 है, जबकि डॉक्टर सुमित मिश्रा की 31 जनवरी 2027 है। अंकुर गुप्ता की 31 दिसंबर 2024 और अनुराग रस्तोगी 30 जून 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। आनंद मोहन शरण की 31 अगस्त 2025 को सेवानिवृत्ति होनी है। इसके साथ ही डॉक्टर वी. राजाशेखर की 31 जुलाई 2026 को रिटायरमेंट होनी है।

तीन अधिकारियों ने उठाया पूरा मामला

फिलहाल अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी के पास वित्त आयुक्त राजस्व का जिम्मा होने के साथ-साथ हरियाणा गृह विभाग की जिम्मेदारी है। 1990 बैच में तीन अफसरों अंकुर गुप्ता, अनुराग रस्तोगी और डॉक्टर राजशेखर वुंडरू ने लिखित में देकर कहा कि सुधीर राजपाल और डॉक्टर सुमित मिश्रा दूसरे कैडर से हरियाणा कैडर में आए हैं, इसलिए उन्हें हरियाणा कैडर में उनके नीचे वरिष्ठता दी जाए। मुख्य सचिव टीवीएस प्रसाद ने पूरे मामले में सभी अफसरों को दो से तीन बार व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाया था। उसके बावजूद कोई निचोड़ नहीं निकल सका। पूरे मामले में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के पास विवाद गया और उन्होंने मामले में केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय डीओपीटी के पास भेजने का फैसला किया है। जिसके बाद अब पूरा मामला केंद्र के पास चला गया है।

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