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हरियाणा के कुरुक्षेत्र विवि व सियोनलैब्स प्राइवेट लिमिटेड बेंगलुरु के बीच हुआ एमओयू हुआ। एमओयू का उद्देश्य इंडस्ट्री के सहयोग से शोध को संचालित करना, विशेषज्ञ कार्यशालाएं एवं प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन, विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों में कौशल विकसित करना है।

Kurukshetra: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेशन सेंटर द्वारा केयू में इनोवेटर्स और स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने और सहयोग करने के लिए सियोनलैब्स प्राइवेट लिमिटेड बेंगलुरु के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 औद्योगिक क्रांति 4.0 के उद्देश्यों के अनुरूप नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के फलस्वरूप एक विकसित पारिस्थितिकी तंत्र बनाया गया है। इस तरह की पहल से छात्रों में नवाचार, उद्यमिता एवं स्टार्टअप योग्यता विकसित करने और रोजगार के अवसर पैदा करने में सहायक होगी। विश्वविद्यालय के छात्र एन्टरप्रेन्योर बनकर आत्मनिर्भर बने व विकसित राष्ट्र के निर्माण में अपना अहम योगदान दे, इसके लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का इंक्यूबेशन सेंटर अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

एमओयू का उद्देश्य इंडस्ट्री के सहयोग से शोध को संचालित करना

कुरुक्षेत्र विवि के कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा ने इस समझौते के लिए सभी को बधाई दी। सियोन लैब्स का प्रतिनिधित्व उसके संस्थापक और सीईओ डॉ. संजय आहूजा व उनकी टीम के सदस्यों ने किया। केयू कुटिक समन्वयक प्रो. अनुरेखा शर्मा ने बताया कि इस एमओयू का उद्देश्य इंडस्ट्री के सहयोग से शोध को संचालित करना, विशेषज्ञ कार्यशालाएं एवं प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन, विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों में कौशल विकसित करना, तकनीकी हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करना व स्टार्टअप, उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है।

भारत की ज्ञान परंपरा का अध्ययन समय की जरूरत : प्रो. अभिराज राजेंद्र

प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने ने एमडीयू रोहतक में आयोजित रंग कलम साहित्यिक में बतौर मुख्य वक्ता कहा कि भारत की समृद्ध परंपराओं, भारत की ज्ञान परंपरा का अध्ययन समय की जरूरत है। भारत की कालजयी ज्ञान परंपरा भाषा के जरिए ही आगे बढ़ी है। जरूरत है कि हम संस्कृत समेत भारतीय भाषाओं में अभिव्यक्ति के लिए गौरव महसूस करें। आचार्य भरत मुनि का नाट्य शास्त्र ग्रंथ भारतीय सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की अद्भुत प्रस्तुति है। भारत महर्षि वाल्मीकि तथा महर्षि वेद व्यास की भूमि है, जिन्होंने रामायण तथा महाभारत जैसे महाकाव्य ग्रंथों की रचना की।

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