Narnaul: रोडवेज के बेड़े में दिसंबर 2023 में 21 बसों की बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन एक माह से इन बसों का न तो इंश्योरेंस हुआ और न ही पासिंग, जिसके कारण एक माह से इन्हें सड़कों पर नहीं उतारा जा सका। इसके पीछे बजट का अभाव कारण माना जा रहा है। रोडवेज को हर तिमाही में बजट मिलता है और अब जनवरी माह में बजट मिलने की पूरी संभावना है, जिसके चलते इन बसों के सड़कों पर दौड़ने की उम्मीद रूपी किरण नजदीक आती दिखाई दे रही है।
नारनौल डिपो को नवंबर व दिसंबर 2023 में मिली 30 बस
नारनौल बस डिपो को 2023 में जून माह में 30 बसें मिलनी थी, जिनमें से नौ बसें नवंबर माह में मिली, जिस पर उनका इंश्योंरेंस एवं पासिंग करवाते हुए उन्हें सड़कों पर उतारा गया। बाद में दिसंबर 2023 के प्रथम सप्ताह में बीएस-6 की 21 बसें और मिली। मगर कमाल की बात है कि बजट के अभाव में यह 21 बसें रोडवेज वर्कशॉप में खड़ी हैं। रोडवेज डिपो नारनौल के पास इनके इंश्योरेंस एवं पासिंग का बजट नहीं है, जिस कारण इन्हें एक माह से सड़कों पर नहीं उतारा जा सका। फिलहाल यह सभी 21 बसें वर्कशाप में खड़ी हैं।
नारनौल डिपो की यह है स्थिति
नारनौल बस डिपो में फिलहाल 141 बसें ऑन रोड हैं, यानि विभिन्न रूटों पर दौड़ रही हैं। इन 21 बसों को मिलाकर इनकी संख्या 162 हो जाती है। जब यह सभी बसें रूटों पर चलने लगेंगी तो यात्रियों को रोडवेज की यात्रा और सुगम मिल सकेगी। वैसे नारनौल डिपो को 180 बसों की स्वीकृति है।
चालकों एवं परिचालकों की कमी
नारनौल बस डिपो में रोडवेज चालकों एवं परिचालकों की कमी भी अखर रही है। इस समय करीब 200 चालक हैं, जिनमें से 10-15 छुट्टी पर चलते रहते हैं। कंडेक्टर इससे भी कम हैं तथा उन्हें किलोमीटर स्कीम की बसों का भी चार्ज दिया गया है। इस कारण नई बसों के लिए और ड्राइवरों एवं कंडेक्टरों की आवश्यकता होगी।
यह कहना है सीआई का
रोडवेज के मुख्य निरीक्षक ब्रह्मप्रकाश यादव ने बताया कि नई बसों की इंश्योरेंस एवं पासिंग करवानी है। इंश्योरेंस हायर अथोरिटी मुख्यालय करवाकर देता है, जबकि पासिंग यहां से करवानी है। पैसा तिमाही में आता है, जिस कारण देरी हुई है।
यह कहते हैं जीएम
रोडवेज के जीएम नवीन भारद्वाज ने बताया कि जल्द ही इंश्योरेंस करवाया जाएगा। इसके बाद बसों को पासिंग की लाइन में लगा दिया जाएगा। चालकों एवं परिचालकों की पूर्ति करने के लिए उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया गया है।