NHM Employees Protest: हरियाणा में एनएचएम कर्मचारी करनाल में सीएम नायब सैनी के आवास पर घेराव करने की तैयारी में हैं। फिलहाल वह मानव सेवा संघ परिसर में एकत्रित होकर अपनी मागों को पूरा करवाने के लिए योजना बना रहे हैं। राज्य महासचिव का कहना है कि अभी तक अप्रैल और मई महीने का बजट जारी नहीं किया गया है। वेतन को कंसोलिडेटेड करने के निर्देश जारी किए, जिसके चलते कर्मचारियों को अप्रैल और मई का वेतन अभी तक नहीं मिल पाया है।

कर्मचारियों को बातचीत के लिए बुलाया था

बता दें कि इस मामले को लेकर सीएम आवास की ओर से एनएचएम कर्मचारियों को बातचीत के लिए बुलाया गया था। इस बातचीत के लिए 11 सदस्यीय टीम को सीएम आवास पहुंचना था। वहीं, कर्मचारियों का कहना है कि सिर्फ 11 सदस्य ही नहीं बल्कि मानव सेवा संघ परिसर में मौजूद सभी कर्मचारी सीएम आवास पर पहुंचेंगे। इसके बाद बाद पांच सदस्यीय टीम सीएम नायब सैनी से बातचीत करने के लिए अंदर जाएगी।

पहले ही कर चुके हैं बैठक

एनएचएम कर्मचारी संघ हरियाणा ने पहले ही मानव सेवा संघ परिसर में सीएम आवास के घेराव की रणनीति बनाने के लिए बैठक की थी। इस बैठक के दौरान प्रदेश महासचिव हरि राज और रेणू खुराना के नेतृत्व में फैसला लिया गया था कि 7 जुलाई, 2024 को सभी कर्मचारी सीएम आवास का घेराव करेंगे। उन्होंने अपनी मांग के लिए कर्मचारियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा था कि 7 जुलाई को एनएचएम कर्मचारियों की संख्या इतनी होनी चाहिए कि उसकी गूंज राज्य सरकार तक पहुंच सके।

वहीं, इस बैठक के दौरान हरियाणा प्रधान डॉ. गुरप्रीत सिंह, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी. अतुल गिजवानी, डॉ. अरुण वर्मा, संजीव, सतीश, राजेश अत्री, कुलविंदर कौर, प्रवीण, इंदु खुराना, सुमन, विजेता, कुलभूषण व कप्तान राणा मौजूद रहे।

काम न करने की कही थी बात

इसे लेकर महासचिव ने बताया था कि अधिकारी हमारी एक भी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। इसके चलते उन्होंने अभी तक अप्रैल और मई बजट जारी नहीं किया गया है। वेतन को कंसोलिडेटेड करने के निर्देश जारी किए, जिसके कारण कर्मचारियों को अप्रैल और मई का वेतन नहीं मिला है। उन्होंने कहा था कि अगर दो जुलाई तक कर्मचारियों का वेतन नहीं आया तो सभी कर्मचारी जिलों में अपनी उपस्थिति तो दर्ज करेंगे लेकिन कोई काम नहीं करेंगे।

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कई सालों से कर्मचारी हैं परेशान

जानकारी के अनुसार पिछले पांच सालों में  उच्च अधिकारियों ने केवल कर्मचारियों का शोषण करने का काम किया है। उनकी मांगों और समस्याओं के समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए, सरकार ने भी इसके लिए कोई कोई प्रयास नहीं किए। संगठन द्वारा बार-बार पत्राचार के बावजूद न तो वार्ता ही की गई और न ही मांगों व समस्याओं का समाधान निकाला गया। जिस वजह से कर्मचारियों का सरकार के प्रति रोष बढ़ता चला गया।