Ambala: कुरुक्षेत्र लोकसभा के सांसद नायब सिंह सैनी के जरिए पहली बार उत्तरी हरियाणा को चौधर नसीब हुई। विधानसभा चुनाव से पहले सीएम मनोहर लाल की विदाई के साथ ही नायब सिंह सैनी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। भाजपा में छोटे से कार्यकर्ता से अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत करने वाले सैनी ने महज दस साल के कार्यकाल में सीएम की कुर्सी का सफर तय किया। अब सियासी पंडित भी सैनी की कामयाबी पर हैरानगी जता रहे हैं। दरअसल उत्तरी हरियाणा में चौधर के लिए पिछले लंबे समय से कई नेता लड़ाई लड़ रहे थे। सियासी तौर पर बेहद कमजोर कहे जाने वाले उत्तरी हरियाणा में भाजपा के राज्य की सत्ता में आने के बाद मजबूती मिली। सीएम नायब सैनी से पहले अंबाला छावनी से भाजपा के दिग्गज विधायक अनिल विज ही गृहमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने में कामयाब रहे थे।

बिना विधायक बने रहेंगे सीएम

प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी अभी कुरुक्षेत्र लोकसभा से सांसद हैं। विधानसभा का चुनाव लड़े बिना वे छह महीने तक सीएम बने रह सकते हैं। विधानसभा चुनाव में भी महज कुछ महीने का ही समय बचा है। यानि नायब सैनी संवैधानिक तौर पर 11 सितंबर 2024 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। उससे पहले सैनी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए किसी सीट को खाली करवाकर चुनाव लड़कर जीत हासिल करनी होगी। प्रदेश की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 2 नवंबर 2024 तक है।

महामंत्री के पद से शुरू की राजनीति

जिले के मिर्जापुर माजरा गांव में जन्में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भारतीय जनता युवा मोर्चा से अपने सियासी जीवन की शुरूआत की थी। पहली बार उन्हें जिला महामंत्री बनाया गया था। इसके बाद वे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बेहद करीबी रहे। इसी वजह से राजनीति में वे लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए। 27 अक्टूबर 2023 को ही भाजपा की ओर से नायब सैनी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया था। महज चार महीने में ही वे प्रदेशाध्यक्ष से सीधे सीएम की कुर्सी पर पहुंच गए।

ओबीसी मतदाताओं को साधने की कोशिश

प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के तौर पर नायब सिंह सैनी की ताजपोशी होने के पीछे ओबीसी वोटरों को भी साधने की कोशिश है। प्रदेश में करीब 21 फीसदी मतदाता ओबीसी समुदाय से आते हैं। लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में भाजपा की नजर ओबीसी वोटरों को साधने की है। पार्टी को यह बात भली भांति पता है कि प्रदेश में जाट वोटर उनसे दूरी बना सकते हैं। ऐसे में ओबीसी वोटर को साधने का यह बेहतर तरीका है। 25 जनवरी 1970 को जन्में नायब सिंह सैनी लॉ ग्रेजुएट हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने की वजह से सैनी को संगठन में बेहतर काम करने का भी लंबा अनुभव है।

पहले अध्यक्ष बने, अब मुख्यमंत्री

2005 में नायब सैनी अंबाला में भाजयुमो के जिला अध्यक्ष बने थे। उसके बाद उन्हें पार्टी के किसान मोर्चा में प्रदेश महामंत्री बनाया गया। साल 2012 में नायब सैनी को प्रमोशन देकर भाजपा की जिला इकाई का अध्यक्ष बन गए। 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें नारायणगढ़ विधानसभा सीट से टिकट दिया। यहां से विजयी होने के बाद उन्हें राज्य सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया। पूर्व सीएम मनोहर लाल के पहले कार्यकाल में वे 2016 में राज्यमंत्री बने थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से मैदान में उतारा। सैनी को यहां रिकॉर्ड मतों से जीत मिली। 27 अक्टूबर 2023 को उन्हें हरियाणा में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। अब उन्हें प्रदेश की कुर्सी सौंपी गई है। बेशक नायब सैनी अब प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं मगर नवंबर 2022 में हुए पंचायत चुनाव में वे पत्नी सुमन सैनी को जिला परिषद का चुनाव नहीं जितवा पाए थे। भाजपा ने वार्ड नंबर 4 से सुमन सैनी को उम्मीदवार बनाया था लेकिन उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।