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25 नवम्बर को सरकारी खरीद बंद होने के बाद कुल खरीद 9 लाख 23 हजार 355 एमटी हुई है जबकि बीते वर्ष जिले में मौसम अनुकूल होने के बावजूद 9 लाख 26 हजार 298 एमटी धान की आवक हुई थी। यह आंकड़ा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा जारी किए गए हैं।

फतेहाबाद। प्राकृतिक आपदा के बावजूद इस बार जिले में परमल धान की सरकारी खरीद पिछले साल से करीब-करीब बराबर ही हुई है। 25 नवम्बर को सरकारी खरीद बंद होने के बाद कुल खरीद 9 लाख 23 हजार 355 एमटी हुई है जबकि बीते वर्ष जिले में मौसम अनुकूल होने के बावजूद 9 लाख 26 हजार 298 एमटी धान की आवक हुई थी। यह आंकड़ा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा जारी किए गए हैं। इस बार जिले में 1 लाख एकड़ धान वाली जमीन बाढ़ की चपेट में आ गई थी। इसके अलावा जिले में इस बार 62 फीसदीर बारिश भी कम हुई है। यह आंकड़े पुष्टि करते हैं कि इस बार प्रदेश में पंजाब से खूब धान यहां आकर बिका।

फतेहाबाद जिले में 25 नवम्बर को परमल धान की सरकारी खरीद 25 नवम्बर को बंद हो गई। बाढ़ के बावजूद इस साल जिले में पिछले साल की अपेक्षा लगभग बराबर धान की आवक हुई है। पिछले साल जिले में धान की कुल खरीद 9 लाख 26 हजार 298 एमटी हुई थी जबकि इस साल सरकार द्वारा जिले में कुल 9 लाख 23 हजार 355 एमटी धान की खरीद की गई है जोकि पिछले साल से 2943 एमटी कम है। इस तरह बाढ़ प्रभावित होने के बावजूद इस साल जिले में पिछले साल की अपेक्षा 99.68 प्रतिशत धान खरीदा गया है। जिले में खरीदे गए धान को सीएमआर के लिए 249 राइस मिलों में भेजा गया है।

बता दें कि जिले में बाढ़ के कारण करीब एक लाख एकड़ में धान की फसल प्रभावित हुई थी। बाढ़ का पानी उतरने के बाद यहां किसानों ने दोबारा धान की रोपाई की। यह धान देरी से पककर तैयार हुआ जिस कारण 15 नवम्बर तक किसान इसे मंडियों में बेचने के लिए नहीं ला पाए थे। इसके अलावा जिले में इस बार मानसून की बारिश भी औसत से 62 फीसदी कम हुई है। पहले सरकार ने 15 नवम्बर तक धान खरीद करने का निर्णय लिया गया था लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण सरकार ने जिला प्रशासन के अनुरोध पर धान खरीद की अवधि बढ़ाकर 25 नवम्बर कर दी थी।

जिले में धान का उत्पादन कम, खरीद हुई ज्यादा

कृषि विशेषज्ञ शुरू से ही धान के प्रति एकड़ उत्पादन में कमी की आशंका जता रहे थे। किसानों और आढ़तियों की मानें तो इस बारे प्रति एकड़ धान का उत्पादन 20 फीसदी कम हुआ है। दरअसल इस बार जिले में 50 से ऊपर राइस मिलें नई स्थापित हुई, जिसके साथ ही राइस मिलों की संख्या बढ़कर 250 तक पहुंच गई। प्रत्येक राइस मिल को मिलिंग के लिए धान की आवश्यकता थी। प्रशासन की ओर से इस बार मिलिंग कमेटी ने सभी राइस मिलों का धान का कोटा एक समान तय किया था। असल में प्रत्येक मिल मालिक चाहता था कि उसके यहां धान ज्यादा लगे। इसको लेकर यहां सरकार से जुड़े राइस शैलर मालिकों का प्रभाव ज्यादा था। ऐसे में उपायुक्त को मिलिंग कमेटी के साथ बैठक करके सभी को बराबर कोटा अलाट कर दिया। इसके बावजूद रतिया क्षेत्र में राइस शैलरों को धान कम पड़ गया। इन शैलर मालिकों ने किसानों से मिलीभगत करके गैर धान वाले किसानों का पंजीकरण मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर करवाया और उन्हें तयराशि का भुगतान किया गया। इसके बाद मिल मालिकों ने पंजाब से धान लाकर इन फर्जी किसानों के खाते में दिखाकर इसे अपने शैलरों में मिलिंग शुरू कर दी। यही कारण रहा कि इस बार धान उत्पादन कम होने के बावजूद कुल सरकारी खरीद पिछले साल के बराबर तक जा पहुंची।

बाढ़ व कम बरसात के बावजूद मात्र 2943 एमटी कम हुई धान की आवक

इस अवधि के दौरान सरकार द्वारा कुल 9 लाख 23 हजार 355 एमटी धान की खरीद की है। धान खरीद के अंतिम दिन यानि 25 नवम्बर को जिले में 3787 एमटी धान की खरीद की गई। 15 नवम्बर को फूड एंड सप्लाई ने 287, हैफेड ने 1777 तथा हरियाणा वेयर हाऊस ने 1723 एमटी धान खरीदा। जिले में अब तक फूड एंड सप्लाई विभाग द्वारा कुल 2 लाख 1568 एमटी, हैफेड द्वारा 3 लाख 19 हजार 568 एमटी व हरियाणा वेयर हाऊस ने 3 लाख 89 हजार 936 एमटी धान की खरीद की है। जिले में खरीदे गए कुल धान में से 99 प्रतिशत धान की लिफ्टिंग भी हो चुकी है। जिले में 7 मण्डियों और खरीद केन्द्रों पर केवल 10 हजार 174 एमटी धान की लिफ्टिंग बकाया पड़ी है जबकि 9 लाख 13 हजार 181 एमटी धान का उठान हो चुका है। धान खरीद की एवज में प्रदेश सरकार द्वारा 68763 किसानों को कुल 2 हजार 1 करोड़ 89 लाख रुपये का भुगतान उनके खाते में किया गया है। हरियाणा वेयर हाऊस ने 10396 किसानों को 441.05 करोड़, हैफेड ने 31817 किसानों को 689 करोड़ तथा हरियाणा वेयर हाऊस द्वारा 26450 किसानों को कुल 861.83 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

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