हरिभूमि न्यूज.सोनीपत। एक ओर तो हमारे छोरे और छोरियां अपनी स्टिक का जादू पूरी दूनिया में बिखेर रही है। एक नहीं बल्कि पांच-पांच सोनीपत के लाल और लाडली देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सोनीपत में ही हॉकी खिलाडि़यों की नई पौध तैयार करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। समस्या सेक्टर-4 में हॉकी खिलाड़ियों की सुविधा के लिये करोड़ों रुपये की लागत से तैयार एस्ट्रोटर्फ के कारण बनी हुई। पिछले लगभग साढ़े 4 साल से ये एस्ट्रोटर्फ खिलाडियों के लिये परेशानी का सबब बन रहा है।
क्षतिग्रस्त एस्ट्रोटर्फ जहां खिलाड़ियों के लिए चोटों का कारण बन रहा है, वहीं मैदान पर रेलिंग, गोल पोस्ट टूट चुके हैं। इसके अलावा एस्ट्रोटर्फ की मोटर का स्टार्टर, स्टार्टर सिस्टम, स्प्रिंकल सिस्टम भी कई महीनों से खराब है। मैदान में बड़ी-बड़ी घास भी समस्या बनी हुई है। पेयजल व शौचालय की तो कोई सुविधा ही नहीं है। इसी वजह से इस मैदान पर अभ्यास करने पहुंचने वाली बेटियों को काफी दिक्कत होती है। कमाल की बात ये है कि इन सब समस्याओं को लेकर अभिभावक जिला खेल अधिकारी कार्यालय के यहां हल्ला बोल चुके हैं। प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंप चुके हैं, इसके बावजूद इस स्टेडियम पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। अभिभावक भी बार-बार शिकायत कर परेशान हो चुके हैं। दूसरी ओर खेल अधिकारी का रटारटाया जवाब है कि स्टेडियम को लेकर विशेष प्रपोजल भेजा गया है। प्रपोजल की अपू्रवल मिलने के बाद ही काम किया जा सकेगा।
11 साल पहले स्टेडियम और 8 साल पहले एस्ट्रोटर्फ
सेक्टर 4 में स्टेडियम का निर्माण एचएसवीपी तत्कालीन हूडा द्वारा करवाया गया था। 2012 में इस स्टेडियम को बनाने के लिये विभाग द्वारा करोड़ों रुपये लगाए गए थे। 105 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर तैयार किए गए स्टेडियम में आज से तकरीबन 8 साल पहले वर्ष 2015 में स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ बनवाया गया था। स्टेडियम बनवाने के कुछ समय बाद इसकी देखरेख का जिम्मा खेल विभाग को सौंप दिया गया था। अब स्टेडियम में किसी भी तरह की मरम्मत का कार्य खेल विभाग को ही करना है।
साढ़े चार साल से बदहाल, ये हैं परेशानियां
एस्ट्रोटर्फ तकरीबन साढ़े 4 साल से बदहाल है। एस्ट्रोटर्फ की परत उखड़ रही है, गोलपोस्ट व जालियां टूट चुकी है। एस्ट्रोटर्फ की मोटर का स्टार्टर, स्टार्टर सिस्टम, स्प्रिंकल सिस्टम भी कई महीनों से खराब है। खेल परिसर में लंबी घास उगी हुई है। सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है। मैदान की देखरेख करने वाला भी कोई नहीं है। मैदान पर खिलाडि़यों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं है। शौचालय भी काफी दूर बनाया गया है। जिसका रखरखाव करने वाला कोई नहीं है। यही नहीं महिला खिलाडिय़ों के लिए यहां चेंजिंग रूम भी नहीं बनाया गया। जिससे अभ्यास करने आने वाली महिला खिलाडि़यों को परेशानियां झेलनी पड़ती है।
सोनीपत ने दिए ओलंपिक पदक विजेता
सोनीपत से एक नहीं बल्कि कई हॉकी खिलाड़ी ऐसे हुए हैं, जिन्होंने ओलंपिक तक का सफर तय किया है। हाल के समय में बात करें तो पिछले ओलंपिक में देश की पुरुष टीम में जहां सुमित कुमार शामिल थे। वहीं महिला टीम में नेहा गोयल, नेहा वारसी व शर्मिला थी। इन खिलाडि़यों के प्रदर्शन के बलबूते देश के खेल को नई पीढ़ी में नई पहचान मिल रही है। इसके बावजूद इन खिलाडि़यों ने जिस मैदान पर हॉकी का अभ्यास किया, वही मैदान अधिकारियों की अनदेखी का शिकार हो रहा है। ऐसी स्थिति में कैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार होंगे।
सुविधाओं का अभाव, दुविधाओं की भरमार
मैदान पर सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। एस्ट्रोटर्फ भी खराब हो चुका है। गोल पोस्ट टूट चुका है। मोटर का स्टार्टर, स्टार्टर सिस्टम व स्प्रिंकल सिस्टम तक कई महीनों से खराब पड़ा है, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। सुविधाओं के लिए अनेक बार मांग कर चुके हैं, लेकिन स्थिति पहले जैसी ही है। सुविधाओं के अभाव में कैसे बेहतर खिलाड़ी तैयार हो सकेंगे। - प्रीतम सिवाच, गुरु द्रोणाचार्य अवार्डी एवं पूर्व कप्तान, भारतीय महिला हॉकी टीम
बजट बनाकर भेजा
सेक्टर-4 स्थित खेल स्टेडियम में सुविधाएं बढ़ाने के लिए कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। सुविधाएं बढ़ाने के लिए पंचकूला खेल विभाग के पास बजट बनाकर भेजा है। मंजूरी मिलते ही सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं देने के हरसंभव प्रयाए किए जाएंगे