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हरियााण के सोनीपत में बिना लाइसेंस अवैध रूप से चल रहे नशा मुक्ति केंद्र पर सीएम फ्लाइंग की टीम ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर छापा मारा। टीम को छापेमारी के दौरान नशा मुक्ति केंद्र में कॉफी खामियां मिली। टीम ने कार्रवाई करते हुए स्टेट अथॉरिटी को रिपोर्ट भेज दी। 

Sonipat : गोहाना रोड पर बिना लाइसेंस अवैध रूप से चल रहे नशा मुक्ति केंद्र पर सीएम फ्लाइंग की टीम ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर छापा मारा। टीम को छापेमारी के दौरान नशा मुक्ति केंद्र में कॉफी खामियां मिली। वहीं, छापामार टीम के सामने केंद्र में भर्ती लोगों का दर्द छलक पड़ा ओर उन्होंने रोते हुए केंद्र से मुक्त करवाने की गुहार लगाई। टीम ने कार्रवाई करते हुए स्टेट अथॉरिटी को रिपोर्ट भेज दी।

2020 में समाप्त हो चुकी थी लाइसेंस की अवधि 

सीएम फ्लाइंग व स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब छापा मारा तो केंद्र का लाइसेंस जांचा गया। जांच के दौरान पता चला कि केंद्र का लाइसेंस 2020 में ही समाप्त हो चुका है, जिसकी अवधि को आगे नहीं बढ़वाया गया। 2020 के बाद से अवैध रूप से हर्ष नशा मुक्ति केंद्र को चलाया जा रहा था, जिसको लेकर टीम ने कार्रवाई की।

15 से अधिक लोगों को केंद्र में नहीं रख सकते

नशा मुक्ति केंद्र में 15 लोगों से अधिक को नहीं रखा जा सकता, लेकिन छापेमारी के दौरान टीम को केंद्र में 38 लोग मिले। केंद्र के अंदर मात्र 27 बेड लगाए गए थे, जिन पर 38 लोगों को रखा गया था। केंद्र में भर्ती लोगों में एक नाबालिग भी था। टीम ने केंद्र में मौजूद सभी लोगों के बयान दर्ज किए और अपनी रिपोर्ट तैयार की।

3 लोग मिले चला रहे थे अवैध नशा मुक्ति केंद्र 

छापेमारी के दौरान पता चला कि अवैध रूप से नशा मुक्ति केंद्र को तीन लोगों द्वारा संचालित किया जा रहा था। इनमें बिजेंद्र भट्टगांव, संदीप हुड्डा व उनकी पत्नी शामिल है। तीनों मिलकर 2020 के बाद से अवैध रूप से नशा मुक्ति केंद्र चला रहे थे, जिनके खिलाफ स्वास्थ्य विभाग व सीएम फ्लाइंग ने कार्रवाई की।

केंद्र में भर्ती लोगों का छलका दर्द 

नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती लोगों का दर्द टीम के सामने छलक उठा। लोगों ने रोते हुए बताया कि उन्हें केंद्र में भूखा रखा जाता है। साथ ही उनके हाथ पैर बांधकर लाठी डंडो क़े साथ बेरहमी से पीटा जाता है। दोपहर बीत जाने के बाद भी उन्हें खाना नहीं दिया जाता। टीम को मौके पर कोई वार्ड बॉय भी नहीं मिला। साथ ही मरीजों की फ़ाइल में जरूरी दस्तावेज भी नहीं मिले। मरीजों की पहचान को लेकर आधार कार्ड भी नहीं पाए गए।

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