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Ram Name Stone: करनाल का कर्णेश्वरम महादेव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां पर लोग दूर दराज से पानी में तैरते श्रीराम लिखे पत्थर के दर्शन करने के लिए आते हैं।

Ram Name Stone: रामायण में समुद्र पर सेतु निर्माण वाले प्रसंग में आपने पढ़ा ही होगा कि किस तरह भगवान राम की वानर सेना ने भारत से लंका तक जय श्रीराम लिखे पत्थरों से पुल बना दिया था। पत्थर के पानी में तैरने का वैज्ञानिक नजरिया भी है। ऐसा ही एक मंदिर करनाल में श्री कर्णेश्वरम महादेव का मंदिर है। यहां पर पानी में तैरते श्रीराम लिखे पत्थर के दर्शन कर सकते हैं।

1984 में बनाया गया मंदिर

सेक्टर-7 स्थित श्री कर्णेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण सन 1984 में करवाया गया था। मंदिर में स्थित पंचमुखी शिवलिंग की काफी मान्यता है। बता दें कि आसपास के किसी भी मंदिर में पंचमुखी शिवलिंग मौजूद नहीं है। मंदिर का भवन व इसमें बनाए गए भव्य द्वार लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं। यह मंदिर करीब 3 एकड़ में फैला हुआ है। इस शिव मंदिर में पानी में तैर रहा पत्थर देखने के लिए लोग काफी दूर-दूर से आते हैं। सावन के महीने में इसमें श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ता है।

ये चमत्कारी तैरते पत्थर यहां की वनस्पतियों और जीवों का हिस्सा हैं। इन पत्थरों के तैरने का कारण यह है कि इनमें छोटे-छोटे पाइप जैसे छेद होते हैं। फिलहाल ये पत्थर दो मंदिरों में भक्तों के दर्शन के लिए रखे गए हैं। ये पत्थर पानी में नहीं डूबते, इसलिए ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने राम सेतु बनाने के लिए इन्हीं पत्थरों का इस्तेमाल किया था, जिसे पार करके वे वानर सेना के साथ लंका पहुंचे थे।

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बिहार के भागलपुर में भी ऐसा मामला सामने आया

वहीं, इससे पहले भी कई जगहों पर इस तरह का पत्थर पाया जा चुका है। बिहार के भागलपुर में एक 8 साल के बच्चे को श्रीराम लिखा हुआ पत्थर मिला था। लोगों ने पत्थर पर लिखे श्रीराम को देखते हुए पत्थर की पूजा अर्चना करना भी शुरू कर दी थी। लोगों ने इसे आस्था का केंद्र मान लिया था। हालांकि, वैज्ञानिकों की तरफ से तर्क दिया गया कि यह एक स्पंज के समान ज्यादा छेदों वाला एक खुरदरा पत्थर होता है। इसमें हवा भरी रहती है, बिल्कुल स्पंज के समान और इसी वजह से इसकी डेनसिटी पानी से काफी कम होती है। यही कारण है कि यह पानी में तैरता है।

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