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राजस्थान से भटककर हरियाणा की सीमा में रेवाड़ी पहुंच एसटी 2003 टाइगर के पहुंचने की सूचना के बाद वन विभाग की टीम प्रशासनिक अमले व ग्रामीणों के साथ रातभर जंगलों को खंगालती रहीं, परंतु टाइगर तक पहुंचने में नाकाम रही। जिससे ग्रामीणों में दशहत बढ़ती जा रही है।

Tiger News In Rewari: राजस्थान के किशनगढ़ वन क्षेत्र से भटककर खुशखेड़ा होते हुए शुक्रवार को हरियाणा में रेवाड़ी के गांव भटसाना व निखरी गांव में मिली एसटी-2003 टागइगर की लोकेशन व हलचल के बाद वन विभाग की टीम रातभर ग्रामीणों व प्रशासनिक अमले के साथ टाइगर की तलाश में जुटी रही। टाइगर को पकड़ने के लिए पिंजरों का भी सहारा लिया गया, परंतु शनिवार दोपहर तक वन विभाग टीम व प्रशासनिक अमला टाइगर तक नहीं पहुंच पाया। जिससे अब केवल भटसाना व निखरी ही नहीं, बल्कि आसपास के ग्रामीणों में भी दहशत बढ़ने लगी है।

लोकेशन मिलने पर शुरू की तलाश

राजस्थान के गांव खुशखेड़ा में एक किसान पर हमले व टाइगर के हरियाणा पहुंचने की सूचना के बाद एसटी-2003 टाइगर की लोकेशन जांच करने पर भटसाना में पाई गई। गांव के जंगलों में टाइगर के पंजों के निशान भी मिले थे। इसके बाद निरखी गांव में भी हलचल देखने को मिली। जिसके बाद अलर्ट हुए प्रशासनिक अमले ने एडवाइजरी जारी करने के साथ टाइगर की तलाश भी शुरू की।

शुक्रवार को जारी किया था अलर्ट 

राजस्थान वन विभाग की तरफ से हरियाणा में टाइगर पहुंचने की सूचना के बाद जिला प्रशासन ने शुक्रवार को अलर्ट जारी कर दिया। जिसमें ग्रामीणों ने भटसाना व निखरी गांव के आसपास जंगलों के आसपास जाने से बचने के साथ पशुओं को भी नहीं जाने देने की एडवाइजरी जारी की थी। टाइगर को तलाशने में ग्रामीण भी प्रशासनिक अमले का सहयोग कर रहे हैं।

तलाश जारी, अलर्ट रहे ग्रामीण

वन विभाग के अधिकारी संदीप सिंह ने कहा कि भटकर आए टाइगर की लोकेशन के आधार पर तलाश की जा रही है। फिलहाल टीमें टाइगर का पता नहीं लगा पाई हैं। ऐसे में ग्रामीणों को पहले से अधिक अलर्ट रहने की जरूरत है, ताकि किसी भी प्रकार के संभावित जान माल के नुकसान से बचा जा सके। इसके साथ ही उन्होंने कहीं भी दिखाई देने पर बिना कोई नुकसान पहुंचाए इसकी सूचना तत्काल प्रशासन को देने का आह्वान किया।

अंधेरा होने से पहले चली जाउंगी घर

टाइगर आने की सूचना के बाद महिला अपनी बकरियों के साथ जंगल की तरफ देखी गई। महिला ने कहा कि सरपंच ने ग्रामीणों को बता दिया था, परंतु पशुओं को भूखा भी तो नहीं रख सकते। ऐसे में उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था। हमें भी डर लगता है और दिन ढलने से पहले अपने पशु लेकर घर चली जाऊंगी।

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