Bhiwani: बुधवार सुबह अचानक टीएसएल माइनर का गांव धनाना के खेतों के समीप बैड बैठ गया, जिसकी वजह से पानी खेतों में बहने लगा। देखते ही देखते बैड करीब आठ से दस फुट नीचे दरक गया। सूचना पाकर सिंचाई विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे और अपने स्तर पर माइनर को दुरुस्त करने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी। बाद में कर्मचारियों ने बुलडोजर बुलाया और बुलडोजर से माइनर में आई दरार को पाटने का कार्य शुरू करवाया। इससे पूर्व माइनर का पीछे से पानी बंद भी करवाया गया, जो देर शाम को दोबारा शुरू होने की उम्मीद थी।
सुबह माइनर की बैठनी शुरू हुई तलहटी
सुबह करीब पांच बजे के आसपास माइनर की तलहटी बैठने लगी। इस दौरान वहां पर मौजूद एक दो किसानों ने इस बारे में सिंचाई विभाग के कर्मचारियों को सूचना दी। कर्मचारी मौके पर पहुंचे। उस वक्त तक माइनर की तलहटी में आई दरार बढ़कर दस से 12 फुट तक हो गई थी। कर्मचारियों ने अपने स्तर पर दरार को बंद करने का प्रयास किया, लेकिन पानी के बहाव के चलते वे कामयाब नहीं हो पाए। बाद में जेसीबी की मदद से माइनर में आई दरार को पाटा गया। माइनर में आई दरार को पाटने का कार्य पूरा होने के बाद पानी को शुरू करवाया गया। बता दें कि अनेक जलघरों में पीने के पानी की किल्लत बनी हुई है। साथ ही बारिश न होने की वजह से किसानों के खेतों में फसलों को सिंचाई की जरूरत है। ऐसे में सभी माइनर व नहरों में पर्याप्त पानी पहुंचने की दरकार की जा रही है।
शाम तक पानी छोड़े जाने की थी उम्मीद
माइनर में आई दरार को पाटने का कार्य पूरा होने के बाद शाम तक माइनर में कम पानी छोड़े जाने की उम्मीद थी। क्योंकि पानी कम छोड़कर नाके को पकाया जाता है। नाका थोड़ा सा टाईट होने के बाद ही उसमें पूरा पानी छोड़ा जाता है। हैड से पानी छोड़े जाने की प्रक्रिया जारी थी। वहीं माइनर के हैड से लेकर टेल तक दोनों तरफ अनेक किसानों के ट्यूबवैल लगे है। ट्यूबवैलों की वजह से माइनर के आसपास की जमीन खोखली हो जाती है, जिसके चलते हमेशा माइनर के टूटने या बैड बैठने की आशंका बनी रहती है।
खानक माइनर में पानी नहीं
सुंदर डिस्ट्रीब्यूटरी में पानी के कम ज्यादा होने की वजह से कभी कोई माइनर तो कभी किसी माइनर में पानी की कमी बन रही है। जिन माइनरों पर जलघर है, उन माइनरों में प्राथमिकता के आधार पर पानी चलाया जाता है। क्योंकि उन माइनरों से लोगों के घरों तक पानी की सप्लाई पहुंच रही है। हालांकि खानक माइनर पर भी जलघर पड़ रहे है, लेकिन सुंदर में पानी कम होने की वजह से उक्त माइनर के अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पाया। नहर में पानी बढ़ते ही माइनर के अंतिम छोर पर पूरा पानी पहुंचने की उम्मीद है।