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पानीपत के गांव कवि में पंचायत ने असामाजिक तत्वों की एंट्री पर बैन लगाया है। युवाओं की टीम गांव की सुरक्षा पर नजर रखेगी। बाहरी बदमाशों को चेतावनी दी गई है कि गांव में घुसने पर सख्त परिणाम भुगतने होंगे। हाल की वारदातों से आक्रोशित गांववासियों ने एकजुट होकर यह बड़ा फैसला लिया है।

हरियाणा के पानीपत जिले के गांव कवि में असामाजिक तत्वों के खिलाफ एक ऐतिहासिक और सख्त कदम उठाया गया है। लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं से परेशान होकर गांववासियों ने रविवार को एक सर्वसम्मत पंचायत बुलाई, जिसमें असामाजिक तत्वों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य गांव में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। 

बदमाशों को गांव में घुसने की सख्त मनाही 

पंचायत में साफ तौर पर ऐलान किया गया कि अब कोई भी बाहरी अपराधी या असामाजिक तत्व गांव में नहीं घुस सकेगा, जो गांववासी ऐसे किसी व्यक्ति को गांव में बुलाएगा या छुपाएगा, उसके खिलाफ भी सख्त कार्यवाही की जाएगी। गांववासियों ने सामूहिक रूप से हरियाणा के बदमाशों को चेतावनी दी है – गांव कवि का रास्ता भूल जाओ, वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहो। 

पंचायत के दौरान ग्रामीणों ने हाथों में डंडे लेकर दी चेतावनी

पंचायत के दौरान ग्रामीणों ने हाथों में डंडे उठाकर एकजुटता दिखाई और स्पष्ट संदेश दिया कि अब कोई भी गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि गांव की तरफ से सामाजिक एकजुटता का उदाहरण भी है, जिसमें हर व्यक्ति गांव की सुरक्षा के लिए खड़ा है।

गांव की सुरक्षा को युवा टीम को सौंपा गया जिम्मा

गांव की सुरक्षा को और सुदृढ़ करने के लिए युवाओं की विशेष टीम गठित की गई है। इस टीम को अलर्ट मोड पर रखा गया है और यह टीम दिन-रात गांव में आने-जाने वाले संदिग्ध लोगों पर नजर रखेगी। गांववासियों ने युवाओं को आश्वस्त किया है कि असामाजिक तत्वों के खिलाफ जो भी कदम उठाए जाएंगे, उसमें गांव उनके साथ पूरी तरह खड़ा रहेगा।

बदमाशों की करतूतों से तंग आ गए हैं लोग

इस सख्त फैसले की पृष्ठभूमि में हाल ही में हुई एक हिंसक घटना है, जिसमें कुछ बाहरी युवक गांव के एक घर में घुसकर परिवार पर हमला कर बैठे। बीते एक महीने में यह तीसरी वारदात थी, जिसने गांव की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए। इसके चलते लोगों में गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने अब खुद ही गांव की रक्षा का जिम्मा उठाने का फैसला लिया।

हिंसा की ताजा घटना : 35 लोगों ने किया हमला

गांव के ही निवासी जयपाल ने बताया कि 4 अप्रैल की रात को उसका भाई और भाभी किसी बात पर बहस कर रहे थे। तभी पड़ोसी अजीत मौके पर आया और गाली-गलौज करने लगा। परिवार ने जब बीच-बचाव किया, तो अजीत और उसके पिता ने जयपाल की बहन पर हमला कर दिया। परिवार किसी तरह मामले को शांत कर खाना खाकर सो गया, लेकिन रात करीब 11:45 बजे अजीत 30-35 युवकों के साथ घर में घुस गया और पूरे परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। यह घटना गांव में डर और नाराजगी का कारण बनी।

तीसरी वारदात ने बढ़ाई चिंता, गांव की एकता बनी ताकत 

गांव में एक महीने के भीतर यह तीसरी बड़ी आपराधिक वारदात थी, जिसने पूरे समुदाय को हिला कर रख दिया। लोग अब खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे थे। पुलिस कार्रवाई धीमी और निष्क्रिय लगने लगी, ऐसे में गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से कानून व्यवस्था संभालने का बीड़ा उठाया। गांव की पंचायत में न कोई नेता था, न कोई अफसर- बस आम लोग थे, जिनके दिलों में अपने गांव को बचाने का जज्बा था। बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, हर वर्ग ने इस पंचायत में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। पंचायत में यह भी तय किया गया कि हर संदेहास्पद गतिविधि की सूचना तुरंत ग्राम स्तर पर गठित निगरानी टीम को दी जाएगी। 

गांव की सुरक्षा अब खुद गांववाले संभालेंगे 

यह फैसला केवल एक गांव तक सीमित नहीं रहेगा। आस-पास के कई गांवों के लोग भी अब ऐसे ही कदम उठाने की बात कर रहे हैं। बदमाशों के खिलाफ यह जन-जागरण अभियान गांव स्तर पर कानून व्यवस्था की नई परिभाषा गढ़ रहा है। गांव कवि की यह पंचायत मिसाल बन गई है–जहां लोगों ने यह दिखा दिया कि अगर प्रशासन साथ न दे तो भी गांववासी अपनी एकजुटता से शांति और सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। यहां कोई राजनीतिक मंच नहीं था, कोई बड़ी घोषणा नहीं थी–सिर्फ आम लोगों का दृढ़ निश्चय था कि अब गांव में केवल भाईचारा और शांति का शासन चलेगा, बदमाशों का नहीं। 

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