सोनीपत में नकली दवा कंपनी का खुलासा : हरियाणा के सोनीपत में FDA (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) की टीम ने छापा मारकर नकली दवा बनाने वाली एक फैक्टरी का खुलासा किया है। इस फैक्टरी में लाखों की संख्या में नकली एंटीबॉयटिक दवाइयां मिली हैं। जिन कंपनियों के नाम पर यह दवाइयां बनाई जा रही थीं, वह सब फर्जी मिली। मौके से भारी मात्रा में दवाइयां, रैपर, पैकिंग मशीन और अन्य सामान बरामद हुआ है। मौके से मैनेजर को गिरफ्तार किया गया है, जबकि राजस्थान निवासी मालिक मनोज फरार है। बताया जा रहा है कि यह फैक्टरी डेढ़ माह पहले ही शुरू हुई थी। मैनेजर दवा निर्माण का किसी भी तरह का कोई लाइसेंस नहीं दिखा सका। उसे पुलिस ने दो दिन के रिमांड पर लिया है। अब सोचने वाली बात यह है कि यहां से कितनी दवाइयां कहां पर सप्लाई हुई है। मरीज पैसे खर्च कर मर्ज की दवा लेता है और उसके नाम पर उन्हें मिलता है बिना किसी काम का पाउडर। इस पूरे नेटवर्क का खुलासा होना बेहद जरूरी है।
तीन फर्जी कंपनियों के नाम पर बनाई जा रही थी नकली दवा
खरखौदा के फिरोजपुर बांगर में यह फैक्टरी चल रही थी। वरिष्ठ औषधि नियंत्रक राकेश दहिया, डीआई संदीप हुड्डा, मुंशीराम और पानीपत के डीआई पवन की टीम ने मंगलवार रात को यहां छापा मारा। वहां से सिरसा निवासी मैनेजर योगेश को गिरफ्तार किया गया, जबकि फैक्टरी मालिक राजस्थान निवासी मनोज फरार हो गया था। टीम ने फैक्टरी और मशीनों को सील कर दिया। फैक्टरी में मुंबई स्थित 'मैक्स सेल लाइफ केयर', हिमाचल प्रदेश स्थित 'पैराडॉक्स फार्मास्यूटिकल' और उत्तराखंड स्थित 'रेक्सट्यूस फार्मास्युटिकल्स' के नाम पर नकली एंटीबॉयटिक दवाएं बनाई जा रही थीं। जब जांच की गई तो इन तीनों नाम की कंपनी अस्तित्व में ही नहीं है। यानी पूरी तरह से फर्जीवाड़ा।
भारी मात्रा में नकली दवाइयां जब्त की
फैक्टरी से पेंटाप्राजोल, सेफक्सिन-200, एजीथ्रोमाइसिन-200 और अमोक्सी प्लस क्लेवम एट दवा मिली। रिक-250 की करीब 130 किलोग्राम की 1,86,256 टैबलेट, करीब 57 किलोग्राम पेनजोल डीएसआर के 14350 कैप्सूल, पोलो-625 एलबी 25,000 टैबलेट्स, माइकोसेफ- एलबी 200 की 200 और रुमेंटिन-625 की 1,000 टैबलेट्स जब्त की है।
लैब में 6 सैंपल जांच के लिए भेजे, नहीं मिला बीमारी ठीक करने वाला साल्ट
एफडीए के अधिकारियों ने जब्त की गई दवा के 6 सैंपल लैब में भेजे। प्राथमिक जांच में पता चला है कि बरामद की गई दवाओं में बीमारी ठीक करने वाला कोई भी साल्ट मौजूद नहीं था। टैबलेट और कैप्सूल में केवल स्टार्च और अन्य मिश्रण पाए गए, जो किसी बीमारी को ठीक नहीं कर सकते। इनसे मरीजों को बेहद नुकसान हो सकता है।
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