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Odissi Dance: भोपाल के भारत भवन में रविवार को ओडिशी नृत्य की प्रस्तुती देने वाले प्रख्यात नृत्यांगना लिप्सा सतपथी ने अपने जीवन से जुड़ी विशेष जानकारियां खास बीत में साझा की है।

Odissi Dance: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल दौरे पर आई प्रख्यात नृत्यांगना लिप्सा सतपथी ने भारत भवन में साथी कलाकरों के साथ प्रस्तुती दी। शहर के भारत भवन में आडीशी नृत्य की प्रस्तुती देने के बाद लिप्सा ने बताया कि मैं 38 साल से ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति देते हुए आ रही हूं, मेरे जीवन का सबसे अच्छा नृत्य तब था जब मैंने करीब 1 साल पहले जगन्नाथ मन्दिर के सामने अपनी प्रस्तुति दी, ऐसा लग रहा था जैसे उनके और मेरे बीच बातचीत चल रही हो, वो नृत्य मेरे जीवन का सबसे अच्छा नृत्य है। 

ओडिसी नृत्यांगना लिप्सा सतपथी ने हरिभूमि से खास बातचीत के दौरान बताया कि वह ओडिसी में मेघदूतम तथा जल मंगलम की प्रस्तुति देने निवेदता द्वारा भेजी गई टीम को निर्देशन करने के लिए आई थी। नृत्य कला और इसकी खूबियों को लेकर लिप्सा ने जानकारी साझा की। 

भाव से समझ आना चाहिए शब्द
लिप्सा ने बताया कि हमारे सभी प्रस्तुति ओडिशा भाषा में होती है, इसमें कुछ शब्द संस्कृत के भी होते हैं, लेकिन मुझे लगता है एक कलाकार के लिए यही बहुत बड़ी चुनौती होती है कि वो अपनी भाषा की जगह प्रस्तुति और भाव से ही अपनी बात को दर्शकों और श्रोताओं को समझा सकें। हमारी पुरी टीम फिलहाल दिल्ली में है, लेकिन हम सब ओडिशा के रहने वाले हैं।

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नृत्य की आकर्षक भाव भंगिमा
बता दें कि भोपाल में रविवार को प्रख्यात नृत्यांगना निवेदिता के निर्देशन में उनकी शिष्याओं ने ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी। इसका संयोजन लिप्सा सतपथी ने किया। उनका साथ सुभ्रता पांडा, सुदर्शन साहू, संतोष कुमार स्वैन, प्रज्ञा घोष, प्रियंका दास और प्रिंसेस पाणिग्रही ने दिया। ओडिसी नृत्य में बहुकला के इस प्रतिष्ठित मंच पर मेघदूतम और जल मंगलम की यादगार प्रस्तुति 7 कलाकारों के समूह ने ओडिसी नृत्य की आकर्षक भाव भंगिमाओं के साथ सधे हुए अंदाज में नृत्य प्रस्तुत की।

जल मंगलम में चेहरे के भाव
भारत भवन के मंच पर नृत्यांगनाओं द्वारा प्रस्तुत मेघदूतम और जल मंगलम में चेहरे के भाव, हस्त मुद्राओं तथा शरीर की गतिविधियों का उपयोग दिखा। बादल राग समारोह में प्रस्तुति के अगले क्रम में नृत्यांगनाओं ने वर्षा ऋतु के अनुरूप बरस अभिसार को पेश किया। इस नृत्य में उन्होंने प्रकृति की अनंत सुंदरता और मानव भावनाओं की जटिलताओं को प्रस्तुत किया। सूक्ष्म मुद्राओं, भावों, और लयबद्ध गतियों के माध्यम से कलाकारों ने भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा का प्रदर्शन करते हुए कला प्रेमियों को प्रकृति तथा आत्मा के शाश्वत संबंध के बारे में बताया।

बादलों से निवेदन करती प्रस्तुती
नृत्यांगनाओं ने मेघदूतम की प्रस्तुति दी। इसमें नृत्यांगनाओं ने बताया कि कैसे यक्ष अपने संदेशवाहक के रूप में बादलों से निवेदन करता है कि उसकी प्रियतमा तक उसका संदेश पहुंचाए। इस प्रस्तुति में विरह, प्रेम, प्रकृति और मानव संवेदनाओं का सुंदर चित्रण देखने को मिला। यही नहीं नृत्यांगनाओं ने कालिदास की इस अमर रचना को नृत्य और संगीत के अद्भुत संयोजन के साथ मंच पर प्रस्तुत किया। अगले चरण में नृत्यांगनाओं ने नर्मदा अष्टकम् को। प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने मां नर्मदा की कृपा, शांति और मोक्ष प्रदान करने की शक्ति का गुणगान करते हुए जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना को नृत्य के भावों में पिरोया।

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