आशीष नामदेव, भोपाल। जब मुझे वर्ष 2016-2017 में महिला दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पत्र लिखा था तब मुझे बहुत खुशी हुई थी कि उनकी निगाह में मेरा काम आया है और उन्होंने बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ व महिला कुपोषण पर काम करने के लिए लिखा था। जिसके बाद मैंने बहुत काम इस पर किया और गाने गाए। यह कहना है कि भोजपुरी लोक गायिका विजया भारती का, जो छठ पर्व को लेकर अपनी प्रस्तुति देने के लिए भोपाल आई है। इस मौके पर उन्होंने हरिभूमि से खास बातचीत की।
मुंबई में जन्म हुआ भोजपुरी संगीतकार विजया का, गाती है 22 भाषाओं में गीत
मेरा जन्म मुंबई में हुआ है और मैंने मुंबई में रहते हुए भी कई भोजपुरी गीतों की प्रस्तुति दी। मैं 22 भाषाओं में गीत गाती हूं। जिसमें जपुरी, मैथिली, अंगिका आदि भाषाएं शामिल है। मैं जब विदेशों में अपनी प्रस्तुति देने जाती हूं तो वहां के लोग भोजपुरी भाषा का बहुत आनंद लेते हैं और कई लोग भोजपुरी भाषा में बात करते है। एक बार तो विदेश में जब में टैक्सी से कार्यक्रम स्थान पर जा रही थी तो उस ड्राइवर ने कहा भौजी आ गई हैं, यह सुनकर अच्छा लगा।
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कई लोग परोस रहे हैं अश्लीलता, लेकिन मैंने लोकगीतों को ही चुना
आज अश्लीलता को बहुत ज्यादा परोसा जा रहा है, लेकिन मैंने कभी समझौता नहीं किया और मैंने भोजपुरी में छठ पर्व को लेकर सबसे ज्यादा लोकगीत लोगों के सामने पेश किए है। आज मैं बहुत दुखी भी हूं कि मेरी गुरु और मेरी प्रिय शारदा सिन्हा की मृत्यु को मैं बहुत दुखी हूं। उनके साथ जब मैं रही हूं तो वो काफी हंसी मजाक के मुड में ही रहती थी।
लोकगीत से ही संगीत का हुआ जन्म
मेरा मानना है कि अगर लोकगीत नहीं होता तो संगीत नहीं होता और संगीत का जन्म ही लोकगीतों के माध्यम से हुआ है। जैसे बच्चे के जन्म में लोकगीत गाया जाता है, विवाह पर लोकगीत गाया जाता है, बधाई लोकगीत आदि तरह के लोकगीतों गाए जाते हैं। जो जनजाति के माध्यम से लोगों के बीच गीत बनकर सामने आए हैं।