Bhopal GIS 2025: मध्यप्रदेश का हर शहर अपने आप में एक आर्थिक केंद्र है। इंदौर में फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल और ऑटो-कंपोनेंट के क्लस्टर हैं। जबकि, भोपाल जैव प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी और खाद्य प्र-संस्करण के केंद्र के रूप में उभर रहा है। मध्य प्रदेश के ऐसे विविध औद्योगिक परिदृश्य हैं, जो एमएसएमई के लिए नए अवसर देते हैं।

मध्यप्रदेश में सूती वस्त्र, कृत्रिम कपड़े, चीनी मिलें, वनस्पति तेल, सोयाबीन तेल, सीमेंट, भारी विद्युत उपकरण, कागज और फर्नीचर जैसे उद्योग स्थापित हैं। इसके अलावा 15 से ज्यादा औद्योगिक क्लस्टर हैं। प्रत्येक क्लस्टर की अपनी विशेषज्ञता है।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में भारतीय उद्योग परिसंघ मध्यप्रदेश ने एमएसएमई के विकास के लिए नए अवसरों की पहचान के लिए विशेषज्ञों की विशेष मीटिंग बुलाई। इसमें CII के राष्ट्रीय परिषद सदस्य सुधीर मुतालिक ने कहा, मध्यप्रदेश के तेज गति से आर्थिक विकास करने के लिए एमएसएमई के सभी सेक्टरों को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए सभी स्तरों पर निवेश की जरूरत है। 
सुधीर मुतालिक ने बताया कि मध्यप्रदेश से जुड़े कई राज्यों ने पारंपरिक कारणों से एमएसएमई के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। मध्यप्रदेश में भी असीम संभावना है। अब इस सेक्टर को और अधिक आगे बढ़ाने के लिए नई नीति भी आ गई है। उन्होंने विशेषज्ञों से भी आग्रह किया है किमध्यप्रदेश में एमएसएमई को सशक्त करने नीतियां बनाएं।  

मीटिंग में एमएसएमई विभाग की सचिव प्रियंका दास, सीआईआई राष्ट्रीय वस्त्र एवं परिधान समिति के अध्यक्ष कुलीन लालभाई, सीआईआई राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष डॉ के नंदकुमार, नीति एवं व्यापार सुगमता पर कोर समूह के आशीष वैश्य और सीआईआई के मध्य प्रदेश अध्यक्ष सहित अन्य प्रतिभागी शामिल हुए। 

भोपाल में जैव प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी और खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर के विकास के लिए वित्तीय प्रोत्साहन, बुनियादी ढांचे, नीतिगत सुधार और कौशल उन्नयन पर जोर दिया जा रहा है। सरकार का फोकस इस समय MSME को वैश्विक बाजार, उन्नत तकनीकी उपलब्ध कराने और वित्तीय समावेशन में सुधार पर केंद्रित है।

मीटिंग में आर्थिक विकास को गति देने, रोजगार पैदा करने और नवाचार पर जोर दिया गया। सरकार और उद्योग हितधारकों को चुनौतियों के समाधान और अवसरों का लाभ उठाने आपसी समन्वय से काम करने की सलाह दी गई। बैठक में शामिल सभी प्रतिभागियों अपने सुझाव दिए।

एमएसएमई की जमीनी स्तर पर जरूरतों को पूरा करने वाली नीतियों को क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी। मध्यप्रदेश को नई पहचान मिलेगी और एमएसएमई विकास के लिए वातावरण बनेगा। सब मिलकर मध्यप्रदेश और भारत में एक सुदृढ़ एमएसएमई ईको सिस्टम बनाने की दिशा में काम करें।