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मेले में कश्मीर श्रीनगर के कलाकार रियाज खान करीब चार लाख रुपए की पशमीना शॉल लेकर आए हैं। जिसे तैयार होने में एक साल का वक्त लगा।

भोपाल: चंद्रयान-3 की सफलता पर जहां पूरा देश खुशी की लहर में डूबा हुआ है तो वहीं पश्चिम बंगाल के जनजातीय कलाकारों ने भी इस सफलता को अपनी कलाकारी में उकेरा। भोपाल हाट मेले में आयोजित नेशनल हैंडलूम एक्सपो में पश्चिम बंगाल के कलाकार बहारचित्रगढ़ करीब 12 फीट लंबी पट्ट चित्रकला लेकर आए हैं, जिस पर चंद्रयान की सफलता की गाथा को अलग अलग एंगल से दर्शाया गया है। वहीं, अंगूठी से आर पार निकल जाने वाली पशमीना शॉल का नायाब कलेक्शन भी मेले में मौजूद है। जिसकी कीमत चार लाख रुपए है, सोजनी कढ़ाई से डिजाइन इस शॉल की मजदूरी के रुप में सवा लाख रुपए का भुगतान किया गया है। 

चित्रकला से पहले उस पर आधारित गीत रचना करते हैं, गाते गाते चित्र बनाते हैं
कलाकार का कहना है कि चंद्रयान पेंटिंग में हमने चंद्रयान की लांचिंग के लिए वैज्ञानिकों का मंथन, चंद्रयान की लांचिंग, चांद पर मिट्टी के सेंपल कलेक्ट करने से लेकर मोदी जी द्वारा वैज्ञानिकों को बधाई देने की गाथा को बड़े ही उम्दा कलाकारी के रुप में दर्शाया। कलाकार कहते हैं कि पट्ट चित्रकला की खासियत है कि हम चित्रकला से पहले उस पर आधारित गीत रचना करते हैं फिर गीत गाते हुए चित्रकारी करते हैं, जिससे हमें पता रहे कि अब क्या बनाना है। उन्होंने कहा कि हमने अपने गीतों के संकलन को अपनी लिखी पुस्तक ‘सिराजुद्दौला चित्रगढ़’ में की है। क्योंकि सिराजुद्दौला बंगाल के ही थे और उन्होंने पट्ट चित्रकला का संरक्षण किया तो उन्हीं के नाम पर हमनें इस पुस्तक को लिखा।
 
कलमकारी वर्क से तैयार 1.8 लाख रुपए की जरी शॉल

मेले में कश्मीर श्रीनगर के कलाकार रियाज खान करीब चार लाख रुपए की पशमीना शॉल लेकर आए हैं। जिसे तैयार होने में एक साल का वक्त लगा। रियाज कहते हैं इसके अलावा हम कश्मीरी परंपराओं को दर्शाती हुई शॉलों का बेहतरीन कलेक्शन लाए हैं। जिसमें दुल्हन की विदाई के समय ओढ़ी जाने वाली ‘ओढ़नी शॉल’ खास है तो वहीं घुंघट के लिए ‘जरी शॉल या तिल्ला’ भी खास रूप से लाई गई है। जिस पर कलमकारी वर्क किया है, इस शॉल की कीमत 1.8 लाख रुपए है।

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