मधुरिमा राजपाल, भोपाल। शनिवार ( 7 सितंबर ) से विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता गणपति बप्पा का त्यौहार गणेश उत्सव शुरू हो चुका है। गणेश उत्सव एक ऐसा पर्व है, जिसमें लोग गणपति की स्थापना करते हैं और बड़े ही हर्षोल्ला से गणेश पर्व को मनाते हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की बात करें, तो एक और जहां मार्केट में मिट्टी और गोबर के गणेश प्रतिमाओं की भरमार है, वहीं दूसरी ओर शहर में कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने सब्जियों, मशीन के कलपुर्जो, सुबबूल की फलियों, अखरोट, नरियल सहित अन्य  चीजों से भी गणपति जी का निर्माण किया है। हरिभूमि ने राजधानी के कुछ ऐसे गणपति भक्तों को तलाशा, जिनका गणपति बनाने का अपना अलग ही अंदाज है।

कद्दू, पत्ता गोभी, लौकी, गिलकी, नींबू से बनाए गणपति 
भोपाल की किरण गुप्ता ने कद्दू, पत्ता गोभी, लौकी, गिलकी, भिंडी और नींबू सहित हरी सब्जियों से गणेश प्रतिमा बनाई हैं। किरण गुप्ता ने बताया कि मैं और मेरी बेटी अंशिका हम दोनों मिलकर वर्षों से इस तरह से गणपति जी को बनाते आ रहे हैं।  कभी हमने फलों, तो कभी फूलों से गणपति को बनाया है। उन्होंने कहा कि सब्जियों से गणपति बनाने के पीछे हमारी एक ही मंशा है सेव इन्वायरमेंट।

kiran gupta bhopal: कद्दू, पत्ता गोभी, लौकी, गिलकी, नींबू से बनाए गणपति 

ड्रावर लॉक, रबर वॉशर, नल के कैप से बनाई गणपति प्रतिमा
लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में तीन बार अपना नाम दर्ज करा चुके भोपाल के डीपी तिवारी को भी गणपति बनाने का शौक कई सालों से हैं। डीपी तिवारी ने बताया कि मैंने ज्यादातर स्क्रैप आर्ट द्वारा अनुपयोगी वस्तुओं से मिनिएचर फार्म में गणपति को बनाया है। इसमें कभी टूटे हुए ताले, नल और अन्य कलपुर्जों को जोड़कर उन्हें गणपति का रूप दिया है। तिवारी ने कहा कि अभी मैंने कलपुर्जों से सबसे छोटी मिनिएचर फार्म में करीब 3 इंच के गणपति को बनाया, जिसके लिए मेरा नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है। इसके साथ ही इस बार गणेश उत्सव के लिए मैंने गजानन का शीश टेबल ड्रावर लॉक से, उदर भाग रबर वॉशर और नल के कैप से एवं पांव टेप वॉल्व से और वाटर बॉटल कैप को शीर्ष पर मुकुट की तरह लगाया है। सजावट के लिए गमलों का लुक भी कॉर्क कैप से दिया है। इस पूरी प्रतिमा को मैंने एक लंबे नट बोल्ट से असेंबल किया है।

DP Tiwari bhopal: ड्रावर लॉक, रबर वॉशर, नल के कैप से बनाई गणपति प्रतिमा

फल, सब्जियों, अखरोट, नारियल की छाल से बनाए गणपति 
भोपाल के पुरातत्वविद् नारायण व्यास ने फल, सब्जियों, रद्दी पेपर के साथ-साथ अखरोट, नारियल की छाल और अरबी से गणपति को बनाया है। नारायण व्यास ने कहा कि मेरे पास सैकड़ों की संख्या में गणपति का कलेक्शन है। इनमें से कई गणपति प्रतिमा तो काफी नायाब हैं। सबसे पुराना 1920 के गणपति जी का छायाचित्र भी मेरे पास मौजूद है, जिससे पता चलता है कि उस वक्त किस प्रकार से गणपति जी का चलन था। 

NARAYAN VYAS BHOPAL: फल, सब्जियों, अखरोट, नारियल की छाल से बनाए गणपति 

दुर्गा ने सुबबूल की फलियों से बनाए गणपति 
भोपाल की दुर्गा उन्हाले ने सुबबूल की फलियों से गणपति का निर्माण किया है। दुर्गा ने कहा कि सुबबूल की फलियां काफी मुश्किल से मुड़ती हैं, बार-बार टूट जाती हैं। ऐसे में मुझे दो फीट के गणपति को बनाने में करीब 2 महीने का वक्त लगा। मैंने रोजाना करीब 7 से 8 घंटे तक कार्य किया, तब जाकर मेरे गणपति बन पाए। दुर्गा ने कहा कि इससे पहले मैंने 10 फीट के भी गणपति जी बनाए थे, जिसमें मुझे 6 महीने का समय लगा था। मेरे इस कार्य के लिए वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ इंडिया में भी मेरा नाम दर्ज है।

DURGA UNHALE BHOPAL: सुबबूल की फलियों से बनाए गणपति 

गणेश चतुर्थी 2024 तिथि (Ganesh Chaturthi 2024 Tithi)
चतुर्थी तिथि शुक्रवार 6 सितंबर को दोपहर 3.01 मिनट से लग चुकी है। यह 7 सितंबर को शाम 7.37 मिनट तक रहेगी। गणेश स्थापना का ये समय बहुत अनुकूल रहेगा। कुछ बातों का विशेष रखें, जैसे - यदि आप घर पर गणपति की स्थापना करने जा रहे हैं, तो गणेशजी की मूर्ति लेटी हुई या गणपति बप्पा बैठे हुई अवस्था में हो।  गणेशजी की ऐसी मूर्ति से घर में सुख शांति का वास होता है। घर का वास्तु भी दूर होता है।