Logo
Bhopal News: शहीद भवन में दो दिवसीय संस्कृति पर्व 7 का समापन मंगलवार को हो गया। एकल तबला वादन की थाप पर दर्शन मंत्रमुग्ध हो गए।

भोपाल (मधुरिमा राजपाल): शहीद भवन में दो दिवसीय संस्कृति पर्व-7 का समापन मंगलवार को हुआ। समारोह के अंतिम दिन विचार विमर्श और संगीत सभा का आयोजन किया गया। समारोह का आयोजन कला समय संस्कृति, शिक्षा और समाज सेवा समिति तथा मप्र संस्कृति विभाग की ओर से किया गया। समारोह के अंतिम दिन की शुरुआत बच्चों के बीच पयोधि का बाल साहित्य पर विमर्श के साथ हुई। 

सत्र में उपस्थित मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार कैलाश तिवारी ने कहा कि बच्चों ने जो कविता पढ़ी है, बच्चों की कविता को पोस्टर में प्रदर्शित करने की अभिलाषा है। लक्ष्मीनारायण पयोधि ने इस उम्र में बच्चों के भावों को लिखा है, जो बहुत कठिन काम होता है, हर कविता और कहानी में बच्चों के भाव प्रकट हो रहे हैं।

एकल तबला वादन में पेश किया तीन ताल
गीत संगीत से सजी इस शाम में मंदसौर के वरिष्ठ तबला वादक निशांत शर्मा ने एकल तबला वादन पेश किया। फर्रुखाबाद घराने के निशांत शर्मा ने प्रस्तुति के लिए तीन ताल का चयन करते हुए पहले तबले पर पेशकार पेश किया। प्रस्तुति के क्रम को विस्तार देते हुए निशांत ने तबले पर कायदे, रेले, पारंपरिक गत प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति का समापन कलाकार ने चक्रदार की प्रस्तुति के साथ किया। निशांत ने सधे हुए हाथों से जब तबले पर थाप मारी तो श्रोता भाव-विभोर हो गए। हारमोनियम पर पंडित जितेन्द्र शर्मा ने संगत दी।

इसे भी पढ़ें: माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से प्रोफेसर केजी सुरेश की विदाई, छात्रों को भेंट की 1.25 लाख रुपए की पुस्तकें

तबले को राजस्व वाद्य भी कहा जाता है
संगीत रसिकों से चर्चा करते हुए निशांत ने तबले पर चर्चा करते हुए बताया कि तबला का जन्म पखावज से हुआ है। इसे राजस्व वाद्य भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि कहा जाता है कि अमीर खुसरो पखावज बजा रहे थे। उसी समय यह दो टुकड़ों में टूट गया। तब उन्होंने इन टुकड़ों को बजाने की कोशिश की। इस प्रकार तबला प्रचलन में आया।

5379487