Lok Sabha Chunav 2024: उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती रविवार को मुरैना पहुंचीं। मेला मैदान में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो ने भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधा। मायावती ने कहा कि कांग्रेस की तरह ही बीजेपी ने भी केंद्र की तमाम सरकारी जांच एजेंसी का राजनीतिकरण कर दिया है। पूर्व कांग्रेस सरकार की तरह ही भाजपा सरकार में जातिवादी, सांप्रदायिक, पूंजीवादी सोच और नीतियां हैं। धर्म की आड़ में, हिंदुत्व की आड़ में ज्यादती चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। खासकर मुस्लिम समाज के लोगों का शोषण और उत्पीड़न किया जा रहा है।  

भाजपा अपने चहेतों को मालामाल बनाने में लगी है 
मायावती ने कहा कि बीजेपी ने अब तक गरीबों, कमजोर तबकों, मध्यम वर्ग और मेहनतकश लोगों को अच्छे दिन दिखाने की हवा-हवाई गारंटी दी। भाजपा अपने चहेते बड़े पूंजीपतियों और धन्ना सेठों को मालामाल बनाने, हर स्तर पर छूट देने और बचाने में लगी रही। इनके आर्थिक सहयोग से यह पार्टी संगठन चलाती है और चुनाव लड़ाती है। पूर्व सीएम ने कहा विरोधी पार्टी की सरकारों ने SC/ST को प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था नहीं की। ज्यादातर सरकारी काम प्राइवेट सेक्टर में इनके पूंजीपति-धन्ना सेठों को दिए जा रहे हैं।  

भाजपा और कांग्रेस ने एक ओर BSP को कमजोर किया 
BSP सुप्रीमो ने कहा कि यूपी में चार बार बीएसपी के नेतृत्व में सरकार बनी। जब चौथी बार अकेले बलबूते हमारी सरकारी बनी, तब कांग्रेस, बीजेपी और दूसरी जातिवादी पार्टियों ने एक होकर BSP को कमजोर करने के लिए रास्ता निकाला। इन्होंने स्वार्थी और बिकाऊ किस्म के लोगों को तोड़ा। मायावती ने कहा कि ग्वालियर में भी एक-दो ऐसे स्वार्थी-बिकाऊ लोग हैं, जिहोंने कांग्रेस और बीजेपी का मकसद पूरा किया। जब लगा कि बीएसपी कमजोर हो गई, तब कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी का दामन थाम लिया। ये बात बाबा साहेब की करते हैं, काम गांधी जी का करते हैं। इनसे सावधान रहना है।

भाजपा सत्ता में आसानी से आने वाली नहीं 
मायावती ने कहा कि आजादी के बाद केंद्र और देश के अधिकांश राज्यों में सत्ता कांग्रेस के हाथ में केंद्रित रही है। दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग विरोधी गलत नीतियों के कारण कांग्रेस को केंद्र और काफी राज्यों की सत्ता से भी बाहर होना पड़ा है। यही स्थिति इनकी सहयोगी पार्टी की भी रही। भाजपा की जातिवादी, पूंजीवादी, संकीर्ण, सांप्रदायिक और द्वेषपूर्ण नीतियां हैं। अब ऐसा लगता है कि इस बार भाजपा केंद्र की सत्ता में आसानी से वापस आने वाली नहीं है, बशर्ते चुनाव फ्री एंड फेयर हो, मशीन में गड़बड़ी नहीं की जाए।